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Question 1

निर्देश : गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए।

गिजुभाई न केवल बच्चों की क्षमताओं, बौद्धिकता में विश्वास व्यक्त करते हैं, अपितु वे उनकी सृजनात्मकता में भी अगाध आस्था रखते हैं। उनके अनुसार कुछ हत्याएँ पीनल कोड की धारा के अधीन नहीं आती। कानूनवेत्ताओं को अपराध जैसी कोई चीजें नजर नहीं आती। कानूनवेत्ताओं की न्याय नीति-सम्बन्धी मर्यादाएँ सिर्फ पीनल कोड से बँधी होती है। शिक्षाशास्त्रियों के पास राज्य, रूढ़ि अथवा धर्म की कोई सत्ता नहीं है, इसलिए जीवन के प्रति जो अपराध होते हैं, उनके लिए न कोई पीनल कोड, न कोई उन्हें निंदनीय मानता, न कोई धार्मिक भय है। जीवन के प्रति होने वाला एक ऐसा ही अपराध है - बालक की सृजन-शक्त्ति की हत्या। ईश्वर ने मनुष्य का सृजन किया और उसे अपनी सृजन-शक्त्ति प्रदान की। मनुष्य के सृजन की अनुत शक्त्ति के समान ही अगणित है। साहित्य एक सृजन है, चित्रकला दूसरा सृजन है, संगीत तीसरा सृजन है और स्थापत्य चौथा सृजन है। इस गिनने बैठा जाए तो मनुष्य के द्वारा बनाई गई अनेकानेक कृतियों को गिनाया जा सकता है। जब शिक्षक या अभिभावक यह तय करते हैं कि बच्चे को क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए-वस्तुतः इन निर्णयों में ही वे बालक की सृजन-शक्त्ति का दमन कर देते हैं।
गिजुभाई का किसमें विश्वास नहीं है?

Question 2

निर्देश : गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए।

गिजुभाई न केवल बच्चों की क्षमताओं, बौद्धिकता में विश्वास व्यक्त करते हैं, अपितु वे उनकी सृजनात्मकता में भी अगाध आस्था रखते हैं। उनके अनुसार कुछ हत्याएँ पीनल कोड की धारा के अधीन नहीं आती। कानूनवेत्ताओं को अपराध जैसी कोई चीजें नजर नहीं आती। कानूनवेत्ताओं की न्याय नीति-सम्बन्धी मर्यादाएँ सिर्फ पीनल कोड से बँधी होती है। शिक्षाशास्त्रियों के पास राज्य, रूढ़ि अथवा धर्म की कोई सत्ता नहीं है, इसलिए जीवन के प्रति जो अपराध होते हैं, उनके लिए न कोई पीनल कोड, न कोई उन्हें निंदनीय मानता, न कोई धार्मिक भय है। जीवन के प्रति होने वाला एक ऐसा ही अपराध है - बालक की सृजन-शक्त्ति की हत्या। ईश्वर ने मनुष्य का सृजन किया और उसे अपनी सृजन-शक्त्ति प्रदान की। मनुष्य के सृजन की अनुत शक्त्ति के समान ही अगणित है। साहित्य एक सृजन है, चित्रकला दूसरा सृजन है, संगीत तीसरा सृजन है और स्थापत्य चौथा सृजन है। इस गिनने बैठा जाए तो मनुष्य के द्वारा बनाई गई अनेकानेक कृतियों को गिनाया जा सकता है। जब शिक्षक या अभिभावक यह तय करते हैं कि बच्चे को क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए-वस्तुतः इन निर्णयों में ही वे बालक की सृजन-शक्त्ति का दमन कर देते हैं।
कौन-सा अपराध पीनल कोड की धारा के अधीन नहीं आता है?
"धोखाधड़ी करना, चोरी करना, रिश्वत लेना" पीनल कोड की धारा के अधीन आते है।

Question 3

निर्देश : गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए।

गिजुभाई न केवल बच्चों की क्षमताओं, बौद्धिकता में विश्वास व्यक्त करते हैं, अपितु वे उनकी सृजनात्मकता में भी अगाध आस्था रखते हैं। उनके अनुसार कुछ हत्याएँ पीनल कोड की धारा के अधीन नहीं आती। कानूनवेत्ताओं को अपराध जैसी कोई चीजें नजर नहीं आती। कानूनवेत्ताओं की न्याय नीति-सम्बन्धी मर्यादाएँ सिर्फ पीनल कोड से बँधी होती है। शिक्षाशास्त्रियों के पास राज्य, रूढ़ि अथवा धर्म की कोई सत्ता नहीं है, इसलिए जीवन के प्रति जो अपराध होते हैं, उनके लिए न कोई पीनल कोड, न कोई उन्हें निंदनीय मानता, न कोई धार्मिक भय है। जीवन के प्रति होने वाला एक ऐसा ही अपराध है - बालक की सृजन-शक्त्ति की हत्या। ईश्वर ने मनुष्य का सृजन किया और उसे अपनी सृजन-शक्त्ति प्रदान की। मनुष्य के सृजन की अनुत शक्त्ति के समान ही अगणित है। साहित्य एक सृजन है, चित्रकला दूसरा सृजन है, संगीत तीसरा सृजन है और स्थापत्य चौथा सृजन है। इस गिनने बैठा जाए तो मनुष्य के द्वारा बनाई गई अनेकानेक कृतियों को गिनाया जा सकता है। जब शिक्षक या अभिभावक यह तय करते हैं कि बच्चे को क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए-वस्तुतः इन निर्णयों में ही वे बालक की सृजन-शक्त्ति का दमन कर देते हैं।
‘बच्चे क्या करें और क्या न करें’ जब शिक्षक और अभिभावक यह तय करते हैं तब

Question 4

निर्देश : गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए।

गिजुभाई न केवल बच्चों की क्षमताओं, बौद्धिकता में विश्वास व्यक्त करते हैं, अपितु वे उनकी सृजनात्मकता में भी अगाध आस्था रखते हैं। उनके अनुसार कुछ हत्याएँ पीनल कोड की धारा के अधीन नहीं आती। कानूनवेत्ताओं को अपराध जैसी कोई चीजें नजर नहीं आती। कानूनवेत्ताओं की न्याय नीति-सम्बन्धी मर्यादाएँ सिर्फ पीनल कोड से बँधी होती है। शिक्षाशास्त्रियों के पास राज्य, रूढ़ि अथवा धर्म की कोई सत्ता नहीं है, इसलिए जीवन के प्रति जो अपराध होते हैं, उनके लिए न कोई पीनल कोड, न कोई उन्हें निंदनीय मानता, न कोई धार्मिक भय है। जीवन के प्रति होने वाला एक ऐसा ही अपराध है - बालक की सृजन-शक्त्ति की हत्या। ईश्वर ने मनुष्य का सृजन किया और उसे अपनी सृजन-शक्त्ति प्रदान की। मनुष्य के सृजन की अनुत शक्त्ति के समान ही अगणित है। साहित्य एक सृजन है, चित्रकला दूसरा सृजन है, संगीत तीसरा सृजन है और स्थापत्य चौथा सृजन है। इस गिनने बैठा जाए तो मनुष्य के द्वारा बनाई गई अनेकानेक कृतियों को गिनाया जा सकता है। जब शिक्षक या अभिभावक यह तय करते हैं कि बच्चे को क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए-वस्तुतः इन निर्णयों में ही वे बालक की सृजन-शक्त्ति का दमन कर देते हैं।
निम्नलिखित में से ‘सृजन’ के अंतर्गत नहीं आता है।

Question 5

निर्देश : गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए।

गिजुभाई न केवल बच्चों की क्षमताओं, बौद्धिकता में विश्वास व्यक्त करते हैं, अपितु वे उनकी सृजनात्मकता में भी अगाध आस्था रखते हैं। उनके अनुसार कुछ हत्याएँ पीनल कोड की धारा के अधीन नहीं आती। कानूनवेत्ताओं को अपराध जैसी कोई चीजें नजर नहीं आती। कानूनवेत्ताओं की न्याय नीति-सम्बन्धी मर्यादाएँ सिर्फ पीनल कोड से बँधी होती है। शिक्षाशास्त्रियों के पास राज्य, रूढ़ि अथवा धर्म की कोई सत्ता नहीं है, इसलिए जीवन के प्रति जो अपराध होते हैं, उनके लिए न कोई पीनल कोड, न कोई उन्हें निंदनीय मानता, न कोई धार्मिक भय है। जीवन के प्रति होने वाला एक ऐसा ही अपराध है - बालक की सृजन-शक्त्ति की हत्या। ईश्वर ने मनुष्य का सृजन किया और उसे अपनी सृजन-शक्त्ति प्रदान की। मनुष्य के सृजन की अनुत शक्त्ति के समान ही अगणित है। साहित्य एक सृजन है, चित्रकला दूसरा सृजन है, संगीत तीसरा सृजन है और स्थापत्य चौथा सृजन है। इस गिनने बैठा जाए तो मनुष्य के द्वारा बनाई गई अनेकानेक कृतियों को गिनाया जा सकता है। जब शिक्षक या अभिभावक यह तय करते हैं कि बच्चे को क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए-वस्तुतः इन निर्णयों में ही वे बालक की सृजन-शक्त्ति का दमन कर देते हैं।
‘साहित्य’ शब्द में ‘इक’ प्रत्यय लगाने पर शब्द बनेगा -

Question 6

निर्देश : गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए।
गिजुभाई न केवल बच्चों की क्षमताओं, बौद्धिकता में विश्वास व्यक्त करते हैं, अपितु वे उनकी सृजनात्मकता में भी अगाध आस्था रखते हैं। उनके अनुसार कुछ हत्याएँ पीनल कोड की धारा के अधीन नहीं आती। कानूनवेत्ताओं को अपराध जैसी कोई चीजें नजर नहीं आती। कानूनवेत्ताओं की न्याय नीति-सम्बन्धी मर्यादाएँ सिर्फ पीनल कोड से बँधी होती है। शिक्षाशास्त्रियों के पास राज्य, रूढ़ि अथवा धर्म की कोई सत्ता नहीं है, इसलिए जीवन के प्रति जो अपराध होते हैं, उनके लिए न कोई पीनल कोड, न कोई उन्हें निंदनीय मानता, न कोई धार्मिक भय है। जीवन के प्रति होने वाला एक ऐसा ही अपराध है - बालक की सृजन-शक्त्ति की हत्या। ईश्वर ने मनुष्य का सृजन किया और उसे अपनी सृजन-शक्त्ति प्रदान की। मनुष्य के सृजन की अनुत शक्त्ति के समान ही अगणित है। साहित्य एक सृजन है, चित्रकला दूसरा सृजन है, संगीत तीसरा सृजन है और स्थापत्य चौथा सृजन है। इस गिनने बैठा जाए तो मनुष्य के द्वारा बनाई गई अनेकानेक कृतियों को गिनाया जा सकता है। जब शिक्षक या अभिभावक यह तय करते हैं कि बच्चे को क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए-वस्तुतः इन निर्णयों में ही वे बालक की सृजन-शक्त्ति का दमन कर देते हैं।
बौद्धिक, ऐतिहासिक शब्दों में मूल शब्द तथा प्रत्यय हैं।

Question 7

निर्देश : गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए।
गिजुभाई न केवल बच्चों की क्षमताओं, बौद्धिकता में विश्वास व्यक्त करते हैं, अपितु वे उनकी सृजनात्मकता में भी अगाध आस्था रखते हैं। उनके अनुसार कुछ हत्याएँ पीनल कोड की धारा के अधीन नहीं आती। कानूनवेत्ताओं को अपराध जैसी कोई चीजें नजर नहीं आती। कानूनवेत्ताओं की न्याय नीति-सम्बन्धी मर्यादाएँ सिर्फ पीनल कोड से बँधी होती है। शिक्षाशास्त्रियों के पास राज्य, रूढ़ि अथवा धर्म की कोई सत्ता नहीं है, इसलिए जीवन के प्रति जो अपराध होते हैं, उनके लिए न कोई पीनल कोड, न कोई उन्हें निंदनीय मानता, न कोई धार्मिक भय है। जीवन के प्रति होने वाला एक ऐसा ही अपराध है - बालक की सृजन-शक्त्ति की हत्या। ईश्वर ने मनुष्य का सृजन किया और उसे अपनी सृजन-शक्त्ति प्रदान की। मनुष्य के सृजन की अनुत शक्त्ति के समान ही अगणित है। साहित्य एक सृजन है, चित्रकला दूसरा सृजन है, संगीत तीसरा सृजन है और स्थापत्य चौथा सृजन है। इस गिनने बैठा जाए तो मनुष्य के द्वारा बनाई गई अनेकानेक कृतियों को गिनाया जा सकता है। जब शिक्षक या अभिभावक यह तय करते हैं कि बच्चे को क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए-वस्तुतः इन निर्णयों में ही वे बालक की सृजन-शक्त्ति का दमन कर देते हैं।
न्याय-नीति में _______ समास है।

Question 8

निर्देश : गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए।
गिजुभाई न केवल बच्चों की क्षमताओं, बौद्धिकता में विश्वास व्यक्त करते हैं, अपितु वे उनकी सृजनात्मकता में भी अगाध आस्था रखते हैं। उनके अनुसार कुछ हत्याएँ पीनल कोड की धारा के अधीन नहीं आती। कानूनवेत्ताओं को अपराध जैसी कोई चीजें नजर नहीं आती। कानूनवेत्ताओं की न्याय नीति-सम्बन्धी मर्यादाएँ सिर्फ पीनल कोड से बँधी होती है। शिक्षाशास्त्रियों के पास राज्य, रूढ़ि अथवा धर्म की कोई सत्ता नहीं है, इसलिए जीवन के प्रति जो अपराध होते हैं, उनके लिए न कोई पीनल कोड, न कोई उन्हें निंदनीय मानता, न कोई धार्मिक भय है। जीवन के प्रति होने वाला एक ऐसा ही अपराध है - बालक की सृजन-शक्त्ति की हत्या। ईश्वर ने मनुष्य का सृजन किया और उसे अपनी सृजन-शक्त्ति प्रदान की। मनुष्य के सृजन की अनुत शक्त्ति के समान ही अगणित है। साहित्य एक सृजन है, चित्रकला दूसरा सृजन है, संगीत तीसरा सृजन है और स्थापत्य चौथा सृजन है। इस गिनने बैठा जाए तो मनुष्य के द्वारा बनाई गई अनेकानेक कृतियों को गिनाया जा सकता है। जब शिक्षक या अभिभावक यह तय करते हैं कि बच्चे को क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए-वस्तुतः इन निर्णयों में ही वे बालक की सृजन-शक्त्ति का दमन कर देते हैं।
‘ईश्वर’ का पर्यायवाची नहीं है।

Question 9

निर्देश : गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए।
गिजुभाई न केवल बच्चों की क्षमताओं, बौद्धिकता में विश्वास व्यक्त करते हैं, अपितु वे उनकी सृजनात्मकता में भी अगाध आस्था रखते हैं। उनके अनुसार कुछ हत्याएँ पीनल कोड की धारा के अधीन नहीं आती। कानूनवेत्ताओं को अपराध जैसी कोई चीजें नजर नहीं आती। कानूनवेत्ताओं की न्याय नीति-सम्बन्धी मर्यादाएँ सिर्फ पीनल कोड से बँधी होती है। शिक्षाशास्त्रियों के पास राज्य, रूढ़ि अथवा धर्म की कोई सत्ता नहीं है, इसलिए जीवन के प्रति जो अपराध होते हैं, उनके लिए न कोई पीनल कोड, न कोई उन्हें निंदनीय मानता, न कोई धार्मिक भय है। जीवन के प्रति होने वाला एक ऐसा ही अपराध है - बालक की सृजन-शक्त्ति की हत्या। ईश्वर ने मनुष्य का सृजन किया और उसे अपनी सृजन-शक्त्ति प्रदान की। मनुष्य के सृजन की अनुत शक्त्ति के समान ही अगणित है। साहित्य एक सृजन है, चित्रकला दूसरा सृजन है, संगीत तीसरा सृजन है और स्थापत्य चौथा सृजन है। इस गिनने बैठा जाए तो मनुष्य के द्वारा बनाई गई अनेकानेक कृतियों को गिनाया जा सकता है। जब शिक्षक या अभिभावक यह तय करते हैं कि बच्चे को क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए-वस्तुतः इन निर्णयों में ही वे बालक की सृजन-शक्त्ति का दमन कर देते हैं।
‘समान’ का विलोम शब्द है।

Question 10

निर्देश : कविता को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए।

सुनता हूँ मैंने भी देखा,
काले बादल में रहती चाँदी की रेखा।
काले बादल जाति-द्वेष के,
काले बादल विश्व-क्लेश के,
काले बादल उठते पथ पर
नवस्वतंत्रता के प्रवेश के!
सुनता आया हूँ, है देखा
काले बादल में हँसती चाँदी की रेखा!
‘‘काले बादल में रहती चाँदी की रेखा।’’ पंक्त्ति का भाव है।

Question 11

निर्देश : कविता को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए।

सुनता हूँ मैंने भी देखा,
काले बादल में रहती चाँदी की रेखा।
काले बादल जाति-द्वेष के,
काले बादल विश्व-क्लेश के,
काले बादल उठते पथ पर
नवस्वतंत्रता के प्रवेश के!
सुनता आया हूँ, है देखा
काले बादल में हँसती चाँदी की रेखा!
‘काले बादल’ प्रतीक हैं ----------------------- के।

Question 12

निर्देश : कविता को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए।

सुनता हूँ मैंने भी देखा,
काले बादल में रहती चाँदी की रेखा।
काले बादल जाति-द्वेष के,
काले बादल विश्व-क्लेश के,
काले बादल उठते पथ पर
नवस्वतंत्रता के प्रवेश के!
सुनता आया हूँ, है देखा
काले बादल में हँसती चाँदी की रेखा!
‘काले बादल में रहती चाँदी की रेखा’ में कौन-सा अलंकार है?

Question 13

निर्देश : कविता को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए।

सुनता हूँ मैंने भी देखा,
काले बादल में रहती चाँदी की रेखा।
काले बादल जाति-द्वेष के,
काले बादल विश्व-क्लेश के,
काले बादल उठते पथ पर
नवस्वतंत्रता के प्रवेश के!
सुनता आया हूँ, है देखा
काले बादल में हँसती चाँदी की रेखा!
निम्न में से ‘बादल’ का पर्यायवाची शब्द नहीं है-

Question 14

निर्देश : कविता को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए।
सुनता हूँ मैंने भी देखा,
काले बादल में रहती चाँदी की रेखा।
काले बादल जाति-द्वेष के,
काले बादल विश्व-क्लेश के,
काले बादल उठते पथ पर
नवस्वतंत्रता के प्रवेश के!
सुनता आया हूँ, है देखा
काले बादल में हँसती चाँदी की रेखा!
‘स्वतंत्रता’ का विलोम शब्द है।

Question 15

निर्देश : कविता को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए।
सुनता हूँ मैंने भी देखा,
काले बादल में रहती चाँदी की रेखा।
काले बादल जाति-द्वेष के,
काले बादल विश्व-क्लेश के,
काले बादल उठते पथ पर
नवस्वतंत्रता के प्रवेश के!
सुनता आया हूँ, है देखा
काले बादल में हँसती चाँदी की रेखा!
कवि क्या सुनने और देखने की बात कहता है?

Question 16

निर्देश : नीचे दी गई कविता की पंक्तियाँ पढ़कर सही विकल्प चुनिए-

बहुत दिनों के बाद

अब की मैंने जी-भर देखी

पकी-सुनहली फसलों की मुसकान

बहुत दिनों के बाद

बहुत दिनों के बाद

अब की मैं जी-भर सुन पाया

धान कुटती किशोरियों की कोकिल-कंठी तान

बहुत दिनों के बाद

बहुत दिनों के बाद

अब की मैंने जी-भर सूँघे

मौलसिरी के ढेर-ढेर से ताजे-टटके फूल

बहुत दिनों के बाद

बहुत दिनों के बाद

अब की मैं जी-भर छू पाया

अपनी गँवई पगडंडी की चंदनवर्णी धूल

जी भर देखी का अर्थ है

Question 17

निर्देश : नीचे दी गई कविता की पंक्तियाँ पढ़कर सही विकल्प चुनिए-

बहुत दिनों के बाद

अब की मैंने जी-भर देखी

पकी-सुनहली फसलों की मुसकान

बहुत दिनों के बाद

बहुत दिनों के बाद

अब की मैं जी-भर सुन पाया

धान कुटती किशोरियों की कोकिल-कंठी तान

बहुत दिनों के बाद

बहुत दिनों के बाद

अब की मैंने जी-भर सूँघे

मौलसिरी के ढेर-ढेर से ताजे-टटके फूल

बहुत दिनों के बाद

बहुत दिनों के बाद

अब की मैं जी-भर छू पाया

अपनी गँवई पगडंडी की चंदनवर्णी धूल

धान कूटते समय

Question 18

निर्देश : नीचे दी गई कविता की पंक्तियाँ पढ़कर सही विकल्प चुनिए-

बहुत दिनों के बाद

अब की मैंने जी-भर देखी

पकी-सुनहली फसलों की मुसकान

बहुत दिनों के बाद

बहुत दिनों के बाद

अब की मैं जी-भर सुन पाया

धान कुटती किशोरियों की कोकिल-कंठी तान

बहुत दिनों के बाद

बहुत दिनों के बाद

अब की मैंने जी-भर सूँघे

मौलसिरी के ढेर-ढेर से ताजे-टटके फूल

बहुत दिनों के बाद

बहुत दिनों के बाद

अब की मैं जी-भर छू पाया

अपनी गँवई पगडंडी की चंदनवर्णी धूल

फसल को सुनहरा कहा गया है क्योंकि

Question 19

निर्देश : नीचे दी गई कविता की पंक्तियाँ पढ़कर सही विकल्प चुनिए-

बहुत दिनों के बाद

अब की मैंने जी-भर देखी

पकी-सुनहली फसलों की मुसकान

बहुत दिनों के बाद

बहुत दिनों के बाद

अब की मैं जी-भर सुन पाया

धान कुटती किशोरियों की कोकिल-कंठी तान

बहुत दिनों के बाद

बहुत दिनों के बाद

अब की मैंने जी-भर सूँघे

मौलसिरी के ढेर-ढेर से ताजे-टटके फूल

बहुत दिनों के बाद

बहुत दिनों के बाद

अब की मैं जी-भर छू पाया

अपनी गँवई पगडंडी की चंदनवर्णी धूल

कविता में पुनरूक्त शब्द-युग्म है

Question 20

निर्देश : नीचे दी गई कविता की पंक्तियाँ पढ़कर सही विकल्प चुनिए-

बहुत दिनों के बाद

अब की मैंने जी-भर देखी

पकी-सुनहली फसलों की मुसकान

बहुत दिनों के बाद

बहुत दिनों के बाद

अब की मैं जी-भर सुन पाया

धान कुटती किशोरियों की कोकिल-कंठी तान

बहुत दिनों के बाद

बहुत दिनों के बाद

अब की मैंने जी-भर सूँघे

मौलसिरी के ढेर-ढेर से ताजे-टटके फूल

बहुत दिनों के बाद

बहुत दिनों के बाद

अब की मैं जी-भर छू पाया

अपनी गँवई पगडंडी की चंदनवर्णी धूल

मौलसिरी का अन्य अर्थ है

Question 21

निर्देश : नीचे दी गई कविता की पंक्तियाँ पढ़कर सही विकल्प चुनिए-

बहुत दिनों के बाद

अब की मैंने जी-भर देखी

पकी-सुनहली फसलों की मुसकान

बहुत दिनों के बाद

बहुत दिनों के बाद

अब की मैं जी-भर सुन पाया

धान कुटती किशोरियों की कोकिल-कंठी तान

बहुत दिनों के बाद

बहुत दिनों के बाद

अब की मैंने जी-भर सूँघे

मौलसिरी के ढेर-ढेर से ताजे-टटके फूल

बहुत दिनों के बाद

बहुत दिनों के बाद

अब की मैं जी-भर छू पाया

अपनी गँवई पगडंडी की चंदनवर्णी धूल

बहुत दिनों के बाद पंक्ति की पुनरावृत्ति के माध्यम से कवि किस ओर संकेत करना चाहता है?

Question 22

भाषा हमारे/हमारी ---------------------- को व्यवस्थित करती है ।

Question 23

भाषा हमें ---------------------- व---------------------- की अनखोजी दुनिया में ले जाती है ।

Question 24

निर्देश: निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए सबसे उचित विकल्प चुनिए
जिन बच्चों को लिखने में कठिनाई का अनुभव होता है, वे बच्चे --------------- से ग्रस्त हो सकते हैं ।

Question 25

स्वाभाविक अभिव्यक्ति, कल्पनाशीलता, कौशल और सोच को विकसित करना।

Question 26

भाषा-अर्जन और भाषा-अधिगम में महत्वपूर्ण अंतर है।

Question 27

मौखिक भाषा के आकलन का सर्वोत्तम तरीका है।

Question 28

सुलेखा जब-तब बच्चों के साथ बातचीत करती रहती है। वह -

Question 29

भाषा-शिक्षण में कौन-सा बिन्दु सबसे कम महत्त्वपूर्ण है?

Question 30

भाषा में सतत् और व्यापक मूल्यांकन का उद्देश्य है।
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