Time Left - 10:00 mins
पद्यांश पर हिंदी भाषा का क्विज: 09.10.2020
Attempt now to get your rank among 2287 students!
Question 1
निर्देश:- कविता की पंक्तियाँ पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए-
जग-जीवन में जो चिर महान,
सौंदर्य पूर्ण औ सत्य-प्राण,
मैं उसका प्रेमी बनूँ , नाथ !
जिससे मानव-हित हो समान !
जिससे जीवन में मिले शक्ति,
छूटे भय, संशय, अन्ध-भक्ति,
मैं वह प्रकाश बन सकूँ नाथ !
मिट जावें जिसमें अखिल व्यक्ति !
-सुमित्रानन्दन पन्त
जग-जीवन में जो चिर महान,
सौंदर्य पूर्ण औ सत्य-प्राण,
मैं उसका प्रेमी बनूँ , नाथ !
जिससे मानव-हित हो समान !
जिससे जीवन में मिले शक्ति,
छूटे भय, संशय, अन्ध-भक्ति,
मैं वह प्रकाश बन सकूँ नाथ !
मिट जावें जिसमें अखिल व्यक्ति !
-सुमित्रानन्दन पन्त
कवि ने ‘चिर महान’ किसे कहा है?
Question 2
निर्देश:- कविता की पंक्तियाँ पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए-
जग-जीवन में जो चिर महान,
सौंदर्य पूर्ण औ सत्य-प्राण,
मैं उसका प्रेमी बनूँ , नाथ !
जिससे मानव-हित हो समान !
जिससे जीवन में मिले शक्ति,
छूटे भय, संशय, अन्ध-भक्ति,
मैं वह प्रकाश बन सकूँ नाथ !
मिट जावें जिसमें अखिल व्यक्ति !
-सुमित्रानन्दन पन्त
जग-जीवन में जो चिर महान,
सौंदर्य पूर्ण औ सत्य-प्राण,
मैं उसका प्रेमी बनूँ , नाथ !
जिससे मानव-हित हो समान !
जिससे जीवन में मिले शक्ति,
छूटे भय, संशय, अन्ध-भक्ति,
मैं वह प्रकाश बन सकूँ नाथ !
मिट जावें जिसमें अखिल व्यक्ति !
-सुमित्रानन्दन पन्त
कवि कैसा प्रकाश बनाना चाहता है?
Question 3
निर्देश:- कविता की पंक्तियाँ पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए-
जग-जीवन में जो चिर महान,
सौंदर्य पूर्ण औ सत्य-प्राण,
मैं उसका प्रेमी बनूँ , नाथ !
जिससे मानव-हित हो समान !
जिससे जीवन में मिले शक्ति,
छूटे भय, संशय, अन्ध-भक्ति,
मैं वह प्रकाश बन सकूँ नाथ !
मिट जावें जिसमें अखिल व्यक्ति !
-सुमित्रानन्दन पन्त
जग-जीवन में जो चिर महान,
सौंदर्य पूर्ण औ सत्य-प्राण,
मैं उसका प्रेमी बनूँ , नाथ !
जिससे मानव-हित हो समान !
जिससे जीवन में मिले शक्ति,
छूटे भय, संशय, अन्ध-भक्ति,
मैं वह प्रकाश बन सकूँ नाथ !
मिट जावें जिसमें अखिल व्यक्ति !
-सुमित्रानन्दन पन्त
कवि ने ‘अखिल व्यक्ति’ का प्रयोग क्यों किया है ?
Question 4
निर्देश:- कविता की पंक्तियाँ पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए-
जग-जीवन में जो चिर महान,
सौंदर्य पूर्ण औ सत्य-प्राण,
मैं उसका प्रेमी बनूँ , नाथ !
जिससे मानव-हित हो समान !
जिससे जीवन में मिले शक्ति,
छूटे भय, संशय, अन्ध-भक्ति,
मैं वह प्रकाश बन सकूँ नाथ !
मिट जावें जिसमें अखिल व्यक्ति !
-सुमित्रानन्दन पन्त
जग-जीवन में जो चिर महान,
सौंदर्य पूर्ण औ सत्य-प्राण,
मैं उसका प्रेमी बनूँ , नाथ !
जिससे मानव-हित हो समान !
जिससे जीवन में मिले शक्ति,
छूटे भय, संशय, अन्ध-भक्ति,
मैं वह प्रकाश बन सकूँ नाथ !
मिट जावें जिसमें अखिल व्यक्ति !
-सुमित्रानन्दन पन्त
कविता के किस अंश में तर्कहीन आस्था का उल्लेख हुआ है?
Question 5
निर्देश:- कविता की पंक्तियाँ पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए-
जग-जीवन में जो चिर महान,
सौंदर्य पूर्ण औ सत्य-प्राण,
मैं उसका प्रेमी बनूँ , नाथ !
जिससे मानव-हित हो समान !
जिससे जीवन में मिले शक्ति,
छूटे भय, संशय, अन्ध-भक्ति,
मैं वह प्रकाश बन सकूँ नाथ !
मिट जावें जिसमें अखिल व्यक्ति !
-सुमित्रानन्दन पन्त
जग-जीवन में जो चिर महान,
सौंदर्य पूर्ण औ सत्य-प्राण,
मैं उसका प्रेमी बनूँ , नाथ !
जिससे मानव-हित हो समान !
जिससे जीवन में मिले शक्ति,
छूटे भय, संशय, अन्ध-भक्ति,
मैं वह प्रकाश बन सकूँ नाथ !
मिट जावें जिसमें अखिल व्यक्ति !
-सुमित्रानन्दन पन्त
कवि ने कविता की पंक्तियों के अन्त में विस्मयादिबोधक चिन्ह का प्रयोग क्यों किया है ?
Question 6
निर्देश: कविता की पंक्तियाँ पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए ।
है जिसे कुछ भी समझ वह और की,
राह में काँटा कभी बोता नहीं ।
कर किसी से बे-सबब ऊपर चढ़ी,
आँख पर चढ़ना भला होता नहीं ।।
हैं भले वे ही भलाई के लिए,
रातदिन जिनकी कमर होवे कसी ।
प्यार का जी में पड़ा डेरा रहे,
आँख में सूरत रहे हित की बसी ।।
(अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’)
है जिसे कुछ भी समझ वह और की,
राह में काँटा कभी बोता नहीं ।
कर किसी से बे-सबब ऊपर चढ़ी,
आँख पर चढ़ना भला होता नहीं ।।
हैं भले वे ही भलाई के लिए,
रातदिन जिनकी कमर होवे कसी ।
प्यार का जी में पड़ा डेरा रहे,
आँख में सूरत रहे हित की बसी ।।
(अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’)
किस तरह के व्यक्ति दूसरों के काम में बाधा नहीं डालते ?
Question 7
निर्देश: कविता की पंक्तियाँ पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए ।
है जिसे कुछ भी समझ वह और की,
राह में काँटा कभी बोता नहीं ।
कर किसी से बे-सबब ऊपर चढ़ी,
आँख पर चढ़ना भला होता नहीं ।।
हैं भले वे ही भलाई के लिए,
रातदिन जिनकी कमर होवे कसी ।
प्यार का जी में पड़ा डेरा रहे,
आँख में सूरत रहे हित की बसी ।।
(अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’)
है जिसे कुछ भी समझ वह और की,
राह में काँटा कभी बोता नहीं ।
कर किसी से बे-सबब ऊपर चढ़ी,
आँख पर चढ़ना भला होता नहीं ।।
हैं भले वे ही भलाई के लिए,
रातदिन जिनकी कमर होवे कसी ।
प्यार का जी में पड़ा डेरा रहे,
आँख में सूरत रहे हित की बसी ।।
(अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’)
किन लोगों की भलाई करनी चाहिए ?
Question 8
निर्देश: कविता की पंक्तियाँ पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए ।
है जिसे कुछ भी समझ वह और की,
राह में काँटा कभी बोता नहीं ।
कर किसी से बे-सबब ऊपर चढ़ी,
आँख पर चढ़ना भला होता नहीं ।।
हैं भले वे ही भलाई के लिए,
रातदिन जिनकी कमर होवे कसी ।
प्यार का जी में पड़ा डेरा रहे,
आँख में सूरत रहे हित की बसी ।।
(अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’)
है जिसे कुछ भी समझ वह और की,
राह में काँटा कभी बोता नहीं ।
कर किसी से बे-सबब ऊपर चढ़ी,
आँख पर चढ़ना भला होता नहीं ।।
हैं भले वे ही भलाई के लिए,
रातदिन जिनकी कमर होवे कसी ।
प्यार का जी में पड़ा डेरा रहे,
आँख में सूरत रहे हित की बसी ।।
(अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’)
‘प्यार का जी में पड़ा डेरा रहे’ का भाव है
Question 9
निर्देश: कविता की पंक्तियाँ पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए ।
है जिसे कुछ भी समझ वह और की,
राह में काँटा कभी बोता नहीं ।
कर किसी से बे-सबब ऊपर चढ़ी,
आँख पर चढ़ना भला होता नहीं ।।
हैं भले वे ही भलाई के लिए,
रातदिन जिनकी कमर होवे कसी ।
प्यार का जी में पड़ा डेरा रहे,
आँख में सूरत रहे हित की बसी ।।
(अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’)
है जिसे कुछ भी समझ वह और की,
राह में काँटा कभी बोता नहीं ।
कर किसी से बे-सबब ऊपर चढ़ी,
आँख पर चढ़ना भला होता नहीं ।।
हैं भले वे ही भलाई के लिए,
रातदिन जिनकी कमर होवे कसी ।
प्यार का जी में पड़ा डेरा रहे,
आँख में सूरत रहे हित की बसी ।।
(अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’)
‘आँख पर चढ़ना’ का भाव है।
Question 10
निर्देश: कविता की पंक्तियाँ पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए ।
है जिसे कुछ भी समझ वह और की,
राह में काँटा कभी बोता नहीं ।
कर किसी से बे-सबब ऊपर चढ़ी,
आँख पर चढ़ना भला होता नहीं ।।
हैं भले वे ही भलाई के लिए,
रातदिन जिनकी कमर होवे कसी ।
प्यार का जी में पड़ा डेरा रहे,
आँख में सूरत रहे हित की बसी ।।
(अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’)
है जिसे कुछ भी समझ वह और की,
राह में काँटा कभी बोता नहीं ।
कर किसी से बे-सबब ऊपर चढ़ी,
आँख पर चढ़ना भला होता नहीं ।।
हैं भले वे ही भलाई के लिए,
रातदिन जिनकी कमर होवे कसी ।
प्यार का जी में पड़ा डेरा रहे,
आँख में सूरत रहे हित की बसी ।।
(अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’)
‘बेसबब’ का अर्थ है
- 2287 attempts
- 9 upvotes
- 38 comments
Oct 9CTET & State TET Exams