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पद्यांश पर हिंदी भाषा का क्विज: 26.12.2020

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Question 1

निर्देश : कविता की पंक्त्तियाँ पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए।

मेघ आए, बड़े बन-ठन के सँवर के
आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के
पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,
बाँकी चितवन उठा नदी ठिठकी घूँघट सरके।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर घर की
बरस बाद सुधि लीन्ही
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के
झितिज-अटारी गहराई दामिनी दमकी,
क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की
बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढरके,
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
‘मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के’ पंक्त्ति का भाव किसमें है?

Question 2

निर्देश : कविता की पंक्त्तियाँ पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए।

मेघ आए, बड़े बन-ठन के सँवर के
आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के
पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,
बाँकी चितवन उठा नदी ठिठकी घूँघट सरके।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर घर की
बरस बाद सुधि लीन्ही
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के
झितिज-अटारी गहराई दामिनी दमकी,
क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की
बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढरके,
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
मेघों के आने से क्या लगता है?

Question 3

निर्देश : कविता की पंक्त्तियाँ पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए।

मेघ आए, बड़े बन-ठन के सँवर के
आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के
पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,
बाँकी चितवन उठा नदी ठिठकी घूँघट सरके।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर घर की
बरस बाद सुधि लीन्ही
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के
झितिज-अटारी गहराई दामिनी दमकी,
क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की
बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढरके,
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
‘बरस बाद सुधि लीन्हीं’ इस पंक्ति का भाव किसमें है?

Question 4

निर्देश : कविता की पंक्त्तियाँ पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए।

मेघ आए, बड़े बन-ठन के सँवर के
आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के
पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,
बाँकी चितवन उठा नदी ठिठकी घूँघट सरके।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर घर की
बरस बाद सुधि लीन्ही
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के
झितिज-अटारी गहराई दामिनी दमकी,
क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की
बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढरके,
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
पूरी कविता में कौन सा अलंकार हैं?

Question 5

निर्देश : कविता की पंक्त्तियाँ पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए।

मेघ आए, बड़े बन-ठन के सँवर के
आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के
पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,
बाँकी चितवन उठा नदी ठिठकी घूँघट सरके।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर घर की
बरस बाद सुधि लीन्ही
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के
झितिज-अटारी गहराई दामिनी दमकी,
क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की
बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढरके,
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
बूढ़े पीपल ने किस प्रकार मेघों का स्वागत किया?

Question 6

निर्देश : कविता की पंक्त्तियाँ पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए।

मेघ आए, बड़े बन-ठन के सँवर के
आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के
पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,
बाँकी चितवन उठा नदी ठिठकी घूँघट सरके।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर घर की
बरस बाद सुधि लीन्ही
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के
झितिज-अटारी गहराई दामिनी दमकी,
क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की
बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढरके,
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
‘पाहुन’ शब्द का क्या अर्थ हैं?

Question 7

निर्देश: पद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित में सबसे उचित विकल्प को चुनिए ।

तरनि-तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाये ।
झुके कूल सों जल परसन हित मनहूँ सुहाये ।।
किधौं मुकुर मैं लखत उझकि सब निज-निज सोभा ।
कै प्रनवत जल जानि परम पावन फल लोभा ।।
मनु आतप वारन तीर कौ सिमिटी सबै छाये रहत । 
के हरि सेवा हित नै रहे निरखि नैन मन सुख लहत ।।
यमुना के तट पर कौन झुका हुआ है?

Question 8

निर्देश: पद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित में सबसे उचित विकल्प को चुनिए ।

तरनि-तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाये ।
झुके कूल सों जल परसन हित मनहूँ सुहाये ।।
किधौं मुकुर मैं लखत उझकि सब निज-निज सोभा ।
कै प्रनवत जल जानि परम पावन फल लोभा ।।
मनु आतप वारन तीर कौ सिमिटी सबै छाये रहत । 
के हरि सेवा हित नै रहे निरखि नैन मन सुख लहत ।।
“मुकुर” शब्द का पर्यायवाची शब्द है।

Question 9

निर्देश: पद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित में सबसे उचित विकल्प को चुनिए ।
तरनि-तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाये ।
झुके कूल सों जल परसन हित मनहूँ सुहाये ।।
किधौं मुकुर मैं लखत उझकि सब निज-निज सोभा ।
कै प्रनवत जल जानि परम पावन फल लोभा ।।
मनु आतप वारन तीर कौ सिमिटी सबै छाये रहत । 
के हरि सेवा हित नै रहे निरखि नैन मन सुख लहत ।।
वृक्ष यमुना तट को किससे बचाना चाहते है?

Question 10

निर्देश: पद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित में सबसे उचित विकल्प को चुनिए ।
तरनि-तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाये ।
झुके कूल सों जल परसन हित मनहूँ सुहाये ।।
किधौं मुकुर मैं लखत उझकि सब निज-निज सोभा ।
कै प्रनवत जल जानि परम पावन फल लोभा ।।
मनु आतप वारन तीर कौ सिमिटी सबै छाये रहत । 
के हरि सेवा हित नै रहे निरखि नैन मन सुख लहत ।।
पावन शब्द में कौन सी सन्धि है?
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