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गद्यांश पर हिंदी भषा का क्विज:14.02.2021

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Question 1

निर्देश :गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए।

“भारत 15 अगस्त, 1947 को आजाद हुआ। इस आजादी के लिए पूरे देश की जनता ने एक लंबा और मुश्किल संघर्ष चलाया था। इस संघर्ष में समाज के बहुत सारे तबकों की हिस्सेदारी थी। तरह-तरह की पृष्ठभूमि के लोगों ने इसमें भाग लिया। वे स्वतन्त्रता, समानता तथा निर्णय प्रक्रिया में हिस्सेदारी के विचारों से प्रेरित थे। औपनिवेशिक शासन के तहत लोग ब्रिटिश सरकार से भयभीत रहते थे। वे सरकार के बहुत सारे फैंसलों से असहमत थे। लेकिन अगर वे इन फैसलों की आलोचना करते तो उन्हें भारी खतरों का सामना करना पड़ता था। स्वतन्त्रता आंदोलन ने यह स्थिति बदल डाली। राष्ट्रवादी खुलेआम ब्रिटिश सरकार की आलोचना करने लगे और अपनी माँग पेश करने लगे। 1885 में ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने माँग की कि विधायिका में निर्वाचित सदस्य होने चाहिए और उन्हें बजट पर चर्चा करने एवं प्रश्न पूछने का अधिकार मिलना चाहिए 1909 मे बने गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट ने कुछ हद तक निर्वाचित प्रतिनिधित्व की व्यवस्था को मंजूरी दे दी। हालाँकि ब्रिटिश सरकार के अंतर्गत बनाई गई ये शुरुआती विधायिकाएँ राष्ट्रवादियों के बढ़ते जा रहे दबाव के कारण ही बनी थीं, लेकिन इनमें भी सभी वयस्कों को न तो वोट डालने का अधिकार दिया गया था और न ही आम लोग निर्णय प्रक्रिया में हिस्सा ले सकते थे।”

लोग किन विचारों से प्रेरित होकर आजादी के संघर्ष में शामिल हुए?

Question 2

निर्देश :गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए।

“भारत 15 अगस्त, 1947 को आजाद हुआ। इस आजादी के लिए पूरे देश की जनता ने एक लंबा और मुश्किल संघर्ष चलाया था। इस संघर्ष में समाज के बहुत सारे तबकों की हिस्सेदारी थी। तरह-तरह की पृष्ठभूमि के लोगों ने इसमें भाग लिया। वे स्वतन्त्रता, समानता तथा निर्णय प्रक्रिया में हिस्सेदारी के विचारों से प्रेरित थे। औपनिवेशिक शासन के तहत लोग ब्रिटिश सरकार से भयभीत रहते थे। वे सरकार के बहुत सारे फैंसलों से असहमत थे। लेकिन अगर वे इन फैसलों की आलोचना करते तो उन्हें भारी खतरों का सामना करना पड़ता था। स्वतन्त्रता आंदोलन ने यह स्थिति बदल डाली। राष्ट्रवादी खुलेआम ब्रिटिश सरकार की आलोचना करने लगे और अपनी माँग पेश करने लगे। 1885 में ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने माँग की कि विधायिका में निर्वाचित सदस्य होने चाहिए और उन्हें बजट पर चर्चा करने एवं प्रश्न पूछने का अधिकार मिलना चाहिए 1909 मे बने गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट ने कुछ हद तक निर्वाचित प्रतिनिधित्व की व्यवस्था को मंजूरी दे दी। हालाँकि ब्रिटिश सरकार के अंतर्गत बनाई गई ये शुरुआती विधायिकाएँ राष्ट्रवादियों के बढ़ते जा रहे दबाव के कारण ही बनी थीं, लेकिन इनमें भी सभी वयस्कों को न तो वोट डालने का अधिकार दिया गया था और न ही आम लोग निर्णय प्रक्रिया में हिस्सा ले सकते थे।”
आजादी के लिए संघर्ष किसने चलाया?

Question 3

निर्देश :गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए।

“भारत 15 अगस्त, 1947 को आजाद हुआ। इस आजादी के लिए पूरे देश की जनता ने एक लंबा और मुश्किल संघर्ष चलाया था। इस संघर्ष में समाज के बहुत सारे तबकों की हिस्सेदारी थी। तरह-तरह की पृष्ठभूमि के लोगों ने इसमें भाग लिया। वे स्वतन्त्रता, समानता तथा निर्णय प्रक्रिया में हिस्सेदारी के विचारों से प्रेरित थे। औपनिवेशिक शासन के तहत लोग ब्रिटिश सरकार से भयभीत रहते थे। वे सरकार के बहुत सारे फैंसलों से असहमत थे। लेकिन अगर वे इन फैसलों की आलोचना करते तो उन्हें भारी खतरों का सामना करना पड़ता था। स्वतन्त्रता आंदोलन ने यह स्थिति बदल डाली। राष्ट्रवादी खुलेआम ब्रिटिश सरकार की आलोचना करने लगे और अपनी माँग पेश करने लगे। 1885 में ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने माँग की कि विधायिका में निर्वाचित सदस्य होने चाहिए और उन्हें बजट पर चर्चा करने एवं प्रश्न पूछने का अधिकार मिलना चाहिए 1909 मे बने गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट ने कुछ हद तक निर्वाचित प्रतिनिधित्व की व्यवस्था को मंजूरी दे दी। हालाँकि ब्रिटिश सरकार के अंतर्गत बनाई गई ये शुरुआती विधायिकाएँ राष्ट्रवादियों के बढ़ते जा रहे दबाव के कारण ही बनी थीं, लेकिन इनमें भी सभी वयस्कों को न तो वोट डालने का अधिकार दिया गया था और न ही आम लोग निर्णय प्रक्रिया में हिस्सा ले सकते थे।”
निम्नलिखित में से लोकतांत्रिक व्यवस्था का मूल्य कौन-सा है?

Question 4

निर्देश :गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए।

“भारत 15 अगस्त, 1947 को आजाद हुआ। इस आजादी के लिए पूरे देश की जनता ने एक लंबा और मुश्किल संघर्ष चलाया था। इस संघर्ष में समाज के बहुत सारे तबकों की हिस्सेदारी थी। तरह-तरह की पृष्ठभूमि के लोगों ने इसमें भाग लिया। वे स्वतन्त्रता, समानता तथा निर्णय प्रक्रिया में हिस्सेदारी के विचारों से प्रेरित थे। औपनिवेशिक शासन के तहत लोग ब्रिटिश सरकार से भयभीत रहते थे। वे सरकार के बहुत सारे फैंसलों से असहमत थे। लेकिन अगर वे इन फैसलों की आलोचना करते तो उन्हें भारी खतरों का सामना करना पड़ता था। स्वतन्त्रता आंदोलन ने यह स्थिति बदल डाली। राष्ट्रवादी खुलेआम ब्रिटिश सरकार की आलोचना करने लगे और अपनी माँग पेश करने लगे। 1885 में ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने माँग की कि विधायिका में निर्वाचित सदस्य होने चाहिए और उन्हें बजट पर चर्चा करने एवं प्रश्न पूछने का अधिकार मिलना चाहिए 1909 मे बने गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट ने कुछ हद तक निर्वाचित प्रतिनिधित्व की व्यवस्था को मंजूरी दे दी। हालाँकि ब्रिटिश सरकार के अंतर्गत बनाई गई ये शुरुआती विधायिकाएँ राष्ट्रवादियों के बढ़ते जा रहे दबाव के कारण ही बनी थीं, लेकिन इनमें भी सभी वयस्कों को न तो वोट डालने का अधिकार दिया गया था और न ही आम लोग निर्णय प्रक्रिया में हिस्सा ले सकते थे।”
आंदोलन का क्या असर पड़ा?

Question 5

निर्देश :गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए।

“भारत 15 अगस्त, 1947 को आजाद हुआ। इस आजादी के लिए पूरे देश की जनता ने एक लंबा और मुश्किल संघर्ष चलाया था। इस संघर्ष में समाज के बहुत सारे तबकों की हिस्सेदारी थी। तरह-तरह की पृष्ठभूमि के लोगों ने इसमें भाग लिया। वे स्वतन्त्रता, समानता तथा निर्णय प्रक्रिया में हिस्सेदारी के विचारों से प्रेरित थे। औपनिवेशिक शासन के तहत लोग ब्रिटिश सरकार से भयभीत रहते थे। वे सरकार के बहुत सारे फैंसलों से असहमत थे। लेकिन अगर वे इन फैसलों की आलोचना करते तो उन्हें भारी खतरों का सामना करना पड़ता था। स्वतन्त्रता आंदोलन ने यह स्थिति बदल डाली। राष्ट्रवादी खुलेआम ब्रिटिश सरकार की आलोचना करने लगे और अपनी माँग पेश करने लगे। 1885 में ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने माँग की कि विधायिका में निर्वाचित सदस्य होने चाहिए और उन्हें बजट पर चर्चा करने एवं प्रश्न पूछने का अधिकार मिलना चाहिए 1909 मे बने गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट ने कुछ हद तक निर्वाचित प्रतिनिधित्व की व्यवस्था को मंजूरी दे दी। हालाँकि ब्रिटिश सरकार के अंतर्गत बनाई गई ये शुरुआती विधायिकाएँ राष्ट्रवादियों के बढ़ते जा रहे दबाव के कारण ही बनी थीं, लेकिन इनमें भी सभी वयस्कों को न तो वोट डालने का अधिकार दिया गया था और न ही आम लोग निर्णय प्रक्रिया में हिस्सा ले सकते थे।”
कांग्रेस की क्या माँग थी?

Question 6

निर्देश :गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए।
“भारत 15 अगस्त, 1947 को आजाद हुआ। इस आजादी के लिए पूरे देश की जनता ने एक लंबा और मुश्किल संघर्ष चलाया था। इस संघर्ष में समाज के बहुत सारे तबकों की हिस्सेदारी थी। तरह-तरह की पृष्ठभूमि के लोगों ने इसमें भाग लिया। वे स्वतन्त्रता, समानता तथा निर्णय प्रक्रिया में हिस्सेदारी के विचारों से प्रेरित थे। औपनिवेशिक शासन के तहत लोग ब्रिटिश सरकार से भयभीत रहते थे। वे सरकार के बहुत सारे फैंसलों से असहमत थे। लेकिन अगर वे इन फैसलों की आलोचना करते तो उन्हें भारी खतरों का सामना करना पड़ता था। स्वतन्त्रता आंदोलन ने यह स्थिति बदल डाली। राष्ट्रवादी खुलेआम ब्रिटिश सरकार की आलोचना करने लगे और अपनी माँग पेश करने लगे। 1885 में ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने माँग की कि विधायिका में निर्वाचित सदस्य होने चाहिए और उन्हें बजट पर चर्चा करने एवं प्रश्न पूछने का अधिकार मिलना चाहिए 1909 मे बने गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट ने कुछ हद तक निर्वाचित प्रतिनिधित्व की व्यवस्था को मंजूरी दे दी। हालाँकि ब्रिटिश सरकार के अंतर्गत बनाई गई ये शुरुआती विधायिकाएँ राष्ट्रवादियों के बढ़ते जा रहे दबाव के कारण ही बनी थीं, लेकिन इनमें भी सभी वयस्कों को न तो वोट डालने का अधिकार दिया गया था और न ही आम लोग निर्णय प्रक्रिया में हिस्सा ले सकते थे।”
सबसे सटीक/सार्थक वाक्य चुनिए।

Question 7

निर्देश :गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए।
“भारत 15 अगस्त, 1947 को आजाद हुआ। इस आजादी के लिए पूरे देश की जनता ने एक लंबा और मुश्किल संघर्ष चलाया था। इस संघर्ष में समाज के बहुत सारे तबकों की हिस्सेदारी थी। तरह-तरह की पृष्ठभूमि के लोगों ने इसमें भाग लिया। वे स्वतन्त्रता, समानता तथा निर्णय प्रक्रिया में हिस्सेदारी के विचारों से प्रेरित थे। औपनिवेशिक शासन के तहत लोग ब्रिटिश सरकार से भयभीत रहते थे। वे सरकार के बहुत सारे फैंसलों से असहमत थे। लेकिन अगर वे इन फैसलों की आलोचना करते तो उन्हें भारी खतरों का सामना करना पड़ता था। स्वतन्त्रता आंदोलन ने यह स्थिति बदल डाली। राष्ट्रवादी खुलेआम ब्रिटिश सरकार की आलोचना करने लगे और अपनी माँग पेश करने लगे। 1885 में ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने माँग की कि विधायिका में निर्वाचित सदस्य होने चाहिए और उन्हें बजट पर चर्चा करने एवं प्रश्न पूछने का अधिकार मिलना चाहिए 1909 मे बने गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट ने कुछ हद तक निर्वाचित प्रतिनिधित्व की व्यवस्था को मंजूरी दे दी। हालाँकि ब्रिटिश सरकार के अंतर्गत बनाई गई ये शुरुआती विधायिकाएँ राष्ट्रवादियों के बढ़ते जा रहे दबाव के कारण ही बनी थीं, लेकिन इनमें भी सभी वयस्कों को न तो वोट डालने का अधिकार दिया गया था और न ही आम लोग निर्णय प्रक्रिया में हिस्सा ले सकते थे।”
खुलेआम शब्द का सबसे सार्थक प्रयोग है –

Question 8

निर्देश :गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए।
“भारत 15 अगस्त, 1947 को आजाद हुआ। इस आजादी के लिए पूरे देश की जनता ने एक लंबा और मुश्किल संघर्ष चलाया था। इस संघर्ष में समाज के बहुत सारे तबकों की हिस्सेदारी थी। तरह-तरह की पृष्ठभूमि के लोगों ने इसमें भाग लिया। वे स्वतन्त्रता, समानता तथा निर्णय प्रक्रिया में हिस्सेदारी के विचारों से प्रेरित थे। औपनिवेशिक शासन के तहत लोग ब्रिटिश सरकार से भयभीत रहते थे। वे सरकार के बहुत सारे फैंसलों से असहमत थे। लेकिन अगर वे इन फैसलों की आलोचना करते तो उन्हें भारी खतरों का सामना करना पड़ता था। स्वतन्त्रता आंदोलन ने यह स्थिति बदल डाली। राष्ट्रवादी खुलेआम ब्रिटिश सरकार की आलोचना करने लगे और अपनी माँग पेश करने लगे। 1885 में ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने माँग की कि विधायिका में निर्वाचित सदस्य होने चाहिए और उन्हें बजट पर चर्चा करने एवं प्रश्न पूछने का अधिकार मिलना चाहिए 1909 मे बने गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट ने कुछ हद तक निर्वाचित प्रतिनिधित्व की व्यवस्था को मंजूरी दे दी। हालाँकि ब्रिटिश सरकार के अंतर्गत बनाई गई ये शुरुआती विधायिकाएँ राष्ट्रवादियों के बढ़ते जा रहे दबाव के कारण ही बनी थीं, लेकिन इनमें भी सभी वयस्कों को न तो वोट डालने का अधिकार दिया गया था और न ही आम लोग निर्णय प्रक्रिया में हिस्सा ले सकते थे।”
दबाव शब्द का प्रयोग कहाँ पर होगा?
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