गद्यांश और पद्यांश पर हिंदी भषा का क्विज:13.03.2021
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Question 1
“मानव के पास समस्त जगत को देखने-परखने के डॉ नजरिए हैं एक आशावादी, दूसरा निराशावादी | इसे सकारात्मक और नकारात्मक दृष्टि भी कहते हैं | जो आशावादी या सकारात्मक मार्ग पर चलते हैं, वे सदैव आनन्द की अनुभूति प्राप्त करते हैं तथा निराशावादी या नकारात्मक दृष्टि वाले दु;ख के सागर में डूबे रहते हैं और सदा अपने आपको प्रस्थापित करने के लिए तर्क किया करते हैं| वे भूल जाते हैं कि तर्क और कुर्तक से ज्ञान का नाश होता है एवं जीवन में विकृति उत्पन्न होती है| आशावादी तर्क नहीं करता, फलस्वरूप वह आंतरिक आनन्द कि प्रतीति करता है | वह मानता है कि आत्मिक आनंद कभी प्रहार या काटने की प्रक्रिया में नहीं है| इसीलिए जगत में सदा आशावाद ही पनपा है, उसने ही महान व्यक्तियों का सृजन किया है| निराशावाद या नकारामत्क्ता की नींव पर कभी किसी जीवन प्रासाद का निर्माण नहीं हुआ |
‘जगत’ शब्द में लिंग है –
Question 2
“मानव के पास समस्त जगत को देखने-परखने के डॉ नजरिए हैं एक आशावादी, दूसरा निराशावादी | इसे सकारात्मक और नकारात्मक दृष्टि भी कहते हैं | जो आशावादी या सकारात्मक मार्ग पर चलते हैं, वे सदैव आनन्द की अनुभूति प्राप्त करते हैं तथा निराशावादी या नकारात्मक दृष्टि वाले दु;ख के सागर में डूबे रहते हैं और सदा अपने आपको प्रस्थापित करने के लिए तर्क किया करते हैं| वे भूल जाते हैं कि तर्क और कुर्तक से ज्ञान का नाश होता है एवं जीवन में विकृति उत्पन्न होती है| आशावादी तर्क नहीं करता, फलस्वरूप वह आंतरिक आनन्द कि प्रतीति करता है | वह मानता है कि आत्मिक आनंद कभी प्रहार या काटने की प्रक्रिया में नहीं है| इसीलिए जगत में सदा आशावाद ही पनपा है, उसने ही महान व्यक्तियों का सृजन किया है| निराशावाद या नकारामत्क्ता की नींव पर कभी किसी जीवन प्रासाद का निर्माण नहीं हुआ |
Question 3
“मानव के पास समस्त जगत को देखने-परखने के डॉ नजरिए हैं एक आशावादी, दूसरा निराशावादी | इसे सकारात्मक और नकारात्मक दृष्टि भी कहते हैं | जो आशावादी या सकारात्मक मार्ग पर चलते हैं, वे सदैव आनन्द की अनुभूति प्राप्त करते हैं तथा निराशावादी या नकारात्मक दृष्टि वाले दु;ख के सागर में डूबे रहते हैं और सदा अपने आपको प्रस्थापित करने के लिए तर्क किया करते हैं| वे भूल जाते हैं कि तर्क और कुर्तक से ज्ञान का नाश होता है एवं जीवन में विकृति उत्पन्न होती है| आशावादी तर्क नहीं करता, फलस्वरूप वह आंतरिक आनन्द कि प्रतीति करता है | वह मानता है कि आत्मिक आनंद कभी प्रहार या काटने की प्रक्रिया में नहीं है| इसीलिए जगत में सदा आशावाद ही पनपा है, उसने ही महान व्यक्तियों का सृजन किया है| निराशावाद या नकारामत्क्ता की नींव पर कभी किसी जीवन प्रासाद का निर्माण नहीं हुआ |
Question 4
“मानव के पास समस्त जगत को देखने-परखने के डॉ नजरिए हैं एक आशावादी, दूसरा निराशावादी | इसे सकारात्मक और नकारात्मक दृष्टि भी कहते हैं | जो आशावादी या सकारात्मक मार्ग पर चलते हैं, वे सदैव आनन्द की अनुभूति प्राप्त करते हैं तथा निराशावादी या नकारात्मक दृष्टि वाले दु;ख के सागर में डूबे रहते हैं और सदा अपने आपको प्रस्थापित करने के लिए तर्क किया करते हैं| वे भूल जाते हैं कि तर्क और कुर्तक से ज्ञान का नाश होता है एवं जीवन में विकृति उत्पन्न होती है| आशावादी तर्क नहीं करता, फलस्वरूप वह आंतरिक आनन्द कि प्रतीति करता है | वह मानता है कि आत्मिक आनंद कभी प्रहार या काटने की प्रक्रिया में नहीं है| इसीलिए जगत में सदा आशावाद ही पनपा है, उसने ही महान व्यक्तियों का सृजन किया है| निराशावाद या नकारामत्क्ता की नींव पर कभी किसी जीवन प्रासाद का निर्माण नहीं हुआ |
Question 5
“मानव के पास समस्त जगत को देखने-परखने के डॉ नजरिए हैं एक आशावादी, दूसरा निराशावादी | इसे सकारात्मक और नकारात्मक दृष्टि भी कहते हैं | जो आशावादी या सकारात्मक मार्ग पर चलते हैं, वे सदैव आनन्द की अनुभूति प्राप्त करते हैं तथा निराशावादी या नकारात्मक दृष्टि वाले दु;ख के सागर में डूबे रहते हैं और सदा अपने आपको प्रस्थापित करने के लिए तर्क किया करते हैं| वे भूल जाते हैं कि तर्क और कुर्तक से ज्ञान का नाश होता है एवं जीवन में विकृति उत्पन्न होती है| आशावादी तर्क नहीं करता, फलस्वरूप वह आंतरिक आनन्द कि प्रतीति करता है | वह मानता है कि आत्मिक आनंद कभी प्रहार या काटने की प्रक्रिया में नहीं है| इसीलिए जगत में सदा आशावाद ही पनपा है, उसने ही महान व्यक्तियों का सृजन किया है| निराशावाद या नकारामत्क्ता की नींव पर कभी किसी जीवन प्रासाद का निर्माण नहीं हुआ |
Question 6
युद्ध, निरंतर युद्ध विश्व है, 1
युद्धों की ही एक कहानी 2
शान्ति ! कहाँ है शान्ति ? 3
यहाँ तो नित रिपुओं से लड़ना है 4
नित्य उलझना समरांगण में 5
सीना ताने अड़ना है 6
भोले-भाले सीधे-सादे 7
नहीं यहाँ पर जीने पाते 8
जो लड़ते, आगे बढ़ते हैं 9
वे ही जीवन-गाना गाए 10
नहीं मिली यह शान्त बैठने 11
को हमको अनमोल जवानी 12
युद्ध, निरंतर युद्ध विश्व है 13
युद्धों की ही एक कहानी 14
पधान्श की भाषा है –
Question 7
युद्ध, निरंतर युद्ध विश्व है, 1
युद्धों की ही एक कहानी 2
शान्ति ! कहाँ है शान्ति ? 3
यहाँ तो नित रिपुओं से लड़ना है 4
नित्य उलझना समरांगण में 5
सीना ताने अड़ना है 6
भोले-भाले सीधे-सादे 7
नहीं यहाँ पर जीने पाते 8
जो लड़ते, आगे बढ़ते हैं 9
वे ही जीवन-गाना गाए 10
नहीं मिली यह शान्त बैठने 11
को हमको अनमोल जवानी 12
युद्ध, निरंतर युद्ध विश्व है 13
युद्धों की ही एक कहानी 14
Question 8
युद्ध, निरंतर युद्ध विश्व है, 1
युद्धों की ही एक कहानी 2
शान्ति ! कहाँ है शान्ति ? 3
यहाँ तो नित रिपुओं से लड़ना है 4
नित्य उलझना समरांगण में 5
सीना ताने अड़ना है 6
भोले-भाले सीधे-सादे 7
नहीं यहाँ पर जीने पाते 8
जो लड़ते, आगे बढ़ते हैं 9
वे ही जीवन-गाना गाए 10
नहीं मिली यह शान्त बैठने 11
को हमको अनमोल जवानी 12
युद्ध, निरंतर युद्ध विश्व है 13
युद्धों की ही एक कहानी 14
Question 9
युद्ध, निरंतर युद्ध विश्व है, 1
युद्धों की ही एक कहानी 2
शान्ति ! कहाँ है शान्ति ? 3
यहाँ तो नित रिपुओं से लड़ना है 4
नित्य उलझना समरांगण में 5
सीना ताने अड़ना है 6
भोले-भाले सीधे-सादे 7
नहीं यहाँ पर जीने पाते 8
जो लड़ते, आगे बढ़ते हैं 9
वे ही जीवन-गाना गाए 10
नहीं मिली यह शान्त बैठने 11
को हमको अनमोल जवानी 12
युद्ध, निरंतर युद्ध विश्व है 13
युद्धों की ही एक कहानी 14
Question 10
युद्ध, निरंतर युद्ध विश्व है, 1
युद्धों की ही एक कहानी 2
शान्ति ! कहाँ है शान्ति ? 3
यहाँ तो नित रिपुओं से लड़ना है 4
नित्य उलझना समरांगण में 5
सीना ताने अड़ना है 6
भोले-भाले सीधे-सादे 7
नहीं यहाँ पर जीने पाते 8
जो लड़ते, आगे बढ़ते हैं 9
वे ही जीवन-गाना गाए 10
नहीं मिली यह शान्त बैठने 11
को हमको अनमोल जवानी 12
युद्ध, निरंतर युद्ध विश्व है 13
युद्धों की ही एक कहानी 14
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