General Hindi : लोकोक्तियाँ एवं मुहावरे

By Asha Gupta|Updated : April 15th, 2021

मुहावरे और लोकोक्तियाँ

मुहावरा- मुहावरे का अर्थ है बातचीत या अभ्यास। यह अरबी भाषा का शब्द है। जब कोई वाक्य का अंश मूल अर्थ से हट कर किसी विशेष अर्थ को दर्शाता है, उसे मुहावरा कहते हैं। मुहावरा भाषा को सुन्दर बनाता है। मुहावरे का प्रयोग वाक्य के बीच में होता है।

लोकोक्ति- लोकोक्तियाँ लोक-अनुभव से बनती हैं। किसी समाज ने जो कुछ अपने लंबे अनुभव से सीखा है उसे एक वाक्य में बाँध दिया है। ऐसे वाक्यों को ही लोकोक्ति कहते हैं। इसे कहावत, जनश्रुति आदि भी कहते हैं।

मुहावरा और लोकोक्ति में अंतर- मुहावरा वाक्यांश है और इसका स्वतंत्र रूप से प्रयोग नहीं किया जा सकता। लोकोक्ति संपूर्ण वाक्य है और इसका प्रयोग स्वतंत्र रूप से किया जा सकता है।

                                                                     

मुहावरे और लोकोक्तियाँ

मुहावरा- मुहावरे का अर्थ है बातचीत या अभ्यास। यह अरबी भाषा का शब्द है। जब कोई वाक्य का अंश मूल अर्थ से हट कर किसी विशेष अर्थ को दर्शाता है, उसे मुहावरा कहते हैं। मुहावरा भाषा को सुन्दर बनाता है। मुहावरे का प्रयोग वाक्य के बीच में होता है।

लोकोक्ति- लोकोक्तियाँ लोक-अनुभव से बनती हैं। किसी समाज ने जो कुछ अपने लंबे अनुभव से सीखा है उसे एक वाक्य में बाँध दिया है। ऐसे वाक्यों को ही लोकोक्ति कहते हैं। इसे कहावत, जनश्रुति आदि भी कहते हैं।

मुहावरा और लोकोक्ति में अंतर- मुहावरा वाक्यांश है और इसका स्वतंत्र रूप से प्रयोग नहीं किया जा सकता। लोकोक्ति संपूर्ण वाक्य है और इसका प्रयोग स्वतंत्र रूप से किया जा सकता है।

जैसे-‘अंधा बनाना’ मुहावरा है। ‘ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्या डरना’ लोकोक्ति है।

  • अंग–अंग खिल उठना - प्रसन्न हो जाना।
  • अंग छूना - कसम खाना।
  • अंग–अंग टूटना – सारे बदन में दर्द होना।
  • अंग–अंग ढीला होना – बहुत थक जाना।
  • अंग–अंग मुसकाना – बहुत प्रसन्न होना।
  • अंग–अंग फूले न समाना – बहुत आनंदित होना।
  • अंगड़ाना – अंगड़ाई लेना, जबरन पहन लेना।
  • अंकुश रखना – नियंत्रण रखना।
  • अंग लगाना – लिपटाना।
  • अंगारा होना – क्रोध मेँ लाल हो जाना।
  • अंगारा उगलना – जली–कटी सुनाना।
  • अंगारोँ पर पैर रखना – जोखिम मोल लेना।
  • अँगूठे पर मारना – परवाह न करना।
  • अँगूठा दिखाना – निराश करना या तिरस्कारपूर्वक मना करना।
  • अंगूर खट्टे होना – प्राप्त न होने पर उस वस्तु को रद्दी बताना।
  • अंजर–पंजर ढीला होना – अंग–अंग ढीला होना।
  • अंडा फूट जाना – भेद खुल जाना।
  • अंधा बनाना – ठगना।
  • अँधे की लकड़ी/लाठी – एकमात्र सहारा।
  • अंधे को चिराग दिखाना – मूर्ख को उपदेश देना।
  • अंधाधुंध – बिना सोचे–विचारे।
  • अंधानुकरण करना – बिना विचारे अनुकरण करना।
  • अंधेर खाता – अव्यवस्था।
  • अंधेर नगरी – वह स्थान जहाँ कोई नियम व्यवस्था न हो।
  • अंधे के हाथ बटेर लगना – बिना प्रयास भारी चीज पा लेना।
  • अंधोँ मेँ काना राजा – अयोग्य व्यक्तियोँ के बीच कम योग्य भी बहुत योग्य होता है।
  • अँधेरे घर का उजाला – अति सुन्दर/इकलौती सन्तान।
  • अँधेरे मेँ रखना – भेद छिपाना।
  • अँधेरे मुँह – पौ फटते।
  • अंधेरे–उजाले – समय–कुसमय।
  • अकड़ना – घमण्ड करना।
  • अक्ल का दुश्मन – मूर्ख।
  • अक्ल चकराना – कुछ समझ में न आना।
  • अक्ल का अंधा होना – बेअक्ल होना।
  • अक्ल आना – समझ आना।
  • अक्ल का कसूर – बुद्धि दोष।
  • अक्ल काम न करना – कुछ समझ न आना।
  • अक्ल के घोड़े दौड़ाना – तरह–तरह की कल्पना करना।

प्रमुख लोकोक्तियाँ व उनका अर्थ

• अंडा सिखावे बच्चे को चीं-चीं मत कर
– छोटे के द्वारा बड़े को उपदेश देना।
• अंडे सेवे कोई, बच्चे लेवे कोई
– परिश्रम कोई करे लाभ किसी और को मिले।
• अंत भले का भला
– भलाई करने वाले का भला ही होता है।
• अंधा बाँटे रेवड़ी फिर-फिर अपनोँ को देय
– अपने अधिकार का लाभ अपने लोगों को ही पहुँचाना।
• अंधा क्या चाहे, दो आँखें
– मनचाही वस्तु प्राप्त होना।
• अंधा क्या जाने बसंत बहार
– जो वस्तु देखी ही नहीं गई, उसका आनंद कैसे जाना जा सकता है।
• अंधे अंधा ठेलिया दोनों कूप पड़ंत
– दो मूर्ख एक दूसरे की सहायता करें तो भी दोनों को हानि ही होती है।
• अंधे की लाठी
– बेसहारे का सहारा।
• अंधे के आगे रोये, अपनी आँखें खोये
– मूर्ख को ज्ञान देना बेकार है।
• अंधे के हाथ बटेर लगना
– अनायास ही मनचाही वस्तु मिल जाना।
• अंधेर नगरी चौपट राजा , टके सेर भाजी टके सेर खाजा
– जहाँ मुखिया मूर्ख हो और न्याय अन्याय का ख्याल न रखता हो।
• अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता
– अकेला व्यक्ति किसी बड़े काम को सम्पन्न करने में समर्थ नहीं हो सकता।
• अकेला हँसता भला न रोता भला
– सुख हो या दु:ख साथी की जरूरत पड़ती ही है।
• अक्ल बड़ी या भैंस
– शारीरिक शक्ति की अपेक्षा बुद्धि का अधिक महत्व होता है।
• अधजल गगरी छलकत जाए
– ओछा आदमी थोड़ा गुण या धन होने पर इतराने लगता है।
• अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत
– नुकसान हो जाने के बाद पछताना बेकार है।
• अपना-अपना कमाना, अपना-अपना खाना
– किसी दूसरे के भरोसे नहीं रहना।
• अपना मकान कोट समान
– अपना घर सबसे सुरक्षित स्थान होता है।
• अपना रख पराया चख
– अपनी वस्तु बचाकर रखना और दूसरों की वस्तुएँ इस्तेमाल करना।
• अपना लाल गँवाय के दर-दर माँगे भीख
– अपनी बहुमूल्य वस्तु को गवाँ देने से आदमी दूसरों का मोहताज हो जाता है।
• अपना ही सोना खोटा तो सुनार का क्या दोष
– अपनी ही वस्तु खराब हो तो दूसरों को दोष देना उचित नहीं है।
• अपनी- अपनी खाल में सब मस्त
– अपनी परिस्थिति से संतुष्ट रहना।
• अपनी-अपनी ढफली, अपना-अपना राग
– सभी का अलग-अलग मत होना।
• अपनी करनी पार उतरनी
– अच्छा परिणाम पाने के लिए स्वयं काम करना पड़ता है।
• अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है
– अपने घर में आदमी शक्तिशाली होता है।
• अपनी गँठ पैसा तो पराया आसरा कैसा
– समर्थ व्यक्ति को दूसरे के आसरे की आवश्यकता नहीं होती।
• आदमी की दवा आदमी है
– मनुष्य ही मनुष्य की सहायता करते हैं।
• आदमी को ढाई गज कफन काफी है
– अपनी हालत पर संतुष्ट रहना।
• आदमी जाने बसे सोना जाने कसे
– आदमी की पहचान नजदीकी से और सोने की पहचान सोना कसौटी से होती है।
• आम के आम गुठलियों के दाम
– दोहरा लाभ होना।
• आधा तीतर आधा बटेर
– बेमेल वस्तु।
• आधी छोड़ पूरी को धावै, आधी मिले न पूरी पावै
– लालच करने से हानि होती है।
• आप काज़ महा काज़
– अपने उद्देश्य की पूर्ति करना चाहिए।
• आप भला तो जग भला
– भले आदमी को सब लोग भले ही प्रतीत होते हैं।
• आपा तजे तो हरि को भजे
– परमार्थ करने के लिए स्वार्थ को त्यागना पड़ता है।
• आम खाने से काम, पेड़ गिनने से क्या मतलब
– निरुद्देश्य कार्य न करना।
• आए की खुशी न गए का गम
– अपनी हालात में संतुष्ट रहना।
• आए थे हरि भजन को ओटन लगे कपास
– लक्ष्य को भूलकर अन्य कार्य करना।
• आसमान से गिरा खजूर पर अटका
– सफलता पाने में अनेक बाधाओं का आना।
• इतना खाए जितना पावे
– अपनी औकात को ध्यान में रखकर खर्च करना।
• इतनी सी जान, गज भर की ज़बान
– अपनी उम्र के हिसाब से अधिक बोलना।
• ऊँची दुकान फीका पकवान
– तड़क-भड़क करके स्तरहीन चीजों को खपाना।
• ऊँट किस करवट बैठता है
– सन्देह की स्थिति में होना।
• ऊँट के मुँ‍ह में जीरा
– अत्यन्त अपर्याप्त।

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