Day 14: Study Notes प्रेमचंद युगीन उपन्यास

By Mohit Choudhary|Updated : June 14th, 2022

यूजीसी नेट परीक्षा के पेपर -2 हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण विषयों में से एक है हिंदी उपन्यास। इसे 3 युगों प्रेमचंद पूर्व हिन्दी उपन्यास, प्रेमचंद युगीन उपन्यास, प्रेमचन्दोत्तर हिन्दी उपन्यास में बांटा गया है।  इस विषय की की प्रभावी तैयारी के लिए, यहां यूजीसी नेट पेपर- 2 के लिए हिंदी उपन्यास के आवश्यक नोट्स कई भागों में उपलब्ध कराए जाएंगे। इसमें से  प्रेमचंद युगीन उपन्यास से सम्बंधित नोट्स इस लेख मे साझा किये जा रहे हैं। जो छात्र UGC NET 2022 की परीक्षा देने की योजना बना रहे हैं, उनके लिए ये नोट्स प्रभावकारी साबित होंगे।    

प्रेमचन्दयुगीन हिन्दी उपन्यास

  • प्रेमचन्दयुगीन उपन्यास लेखन में प्रेमचंद जी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही हैं, उन्होंने उपन्यास साहित्य को तिलस्मी अय्यारी से बाहर निकालकर उसे वास्तविक भूमि पर लाकर खड़ा कर दिया है। 
  • उन्होंने अपनी रचनाओं में जन-साधारण की भावनाओं, परिस्थितियों और उनकी समस्याओं का मार्मिक चित्रण किया है। समाज में नारी जीवन की यन्त्रणा, बेमेल विवाह, प्रदर्शनप्रियता, शोषण और जाति-पाँति, छुआछूत की घृणित परम्परा आदि को इन्होंने नैतिकतावादी चश्मे से देखने का प्रयास किया है। 
  • उन्होंने दहेज प्रथा, बेमेल विवाह आदि से उत्पन्न वैधव्य जीवन व वेश्यावृत्ति को समाज में जघन्य (घृणित) अपराध के रूप में देखा है।
  • आचार्य हजारी प्रसाद ने प्रेमचंद का मूल्यांकन करते हुए लिखा है कि "प्रेमचंद शताब्दियों से पददलित, अपमानित और उपेक्षित कृषकों की आवाज़ थे।" यदि आप उत्तर भारत की समस्त जनता के आचार-विचार, भाषा भाव, रहन-सहन, आशा-आकांक्षा, दुःख-सुख और सूझबूझ जानना चाहते हैं तो प्रेमचन्द्र से उत्तम परिचायक आपको नहीं मिल सकता।
  • प्रेमचंद द्वारा लिखित प्रमुख उपन्यास निम्न प्रकार हैं -

सेवासदन (1918) 

इसके प्रकाशन के साथ ही हिन्दी उपन्यास को नई दिशा प्राप्त हुई। प्रेमचन्द ने पहले उर्दू में 'बाज़ार-ए-हुस्न' नामक उपन्यास लिखा, जिसका हिन्दी अनुवाद उन्होंने ही 'सेवासदन' नाम से किया। इसमें मुंशी प्रेमचंद जी ने विवाह से जुड़ी समस्याओं; जैसे- दहेज प्रथा, कुलीनता का प्रश्न पत्नी का स्थान सम्मान आदि विषयों को उठाया है।

प्रेमाश्रम (1922) 

प्रेमचन्द जी ने उर्दू में 'गोशिए आफियत' नामक उपन्यास लिखा, जिसका हिन्दी रूपान्तरण, उन्होंने ही प्रेमाश्रम नाम से किया, जिसमें उन्होंने नागरिक जीवन और ग्रामीण जीवन का सम्पर्क स्थापित करते हुए विधवा विवाह, कृषक जीवन की समस्याएँ आदि को उद्घाटित किया है।

रंगभूमि (1925) 

प्रेमचन्द का उर्दू उपन्यास 'चौगाने हस्ती' का हिन्दी अनुवाद रंगभूमि है। इस उपन्यास को 'भारतीय जनजीवन का रंगमंच' कहा जाता है। इसके नायक 'सूरदास' है। इसमें औद्योगिक और कृषि जीवन की तुलना, पूंजी केन्द्रीयकरण का विरोध, औद्योगिक सभ्यता का विरोध, धार्मिक रूढ़ियों का विरोध, अंग्रेजी साम्राज्यवाद की नकली और थोथी आदर्शवादिता आदि का यथार्थ चित्रण हुआ है।

कायाकल्प (1926) 

यह प्रेमचंद का नए ढंग का उपन्यास है, जो पुनर्जन्म से संबंधित है।

निर्मला (1927) 

इससे मनोवैज्ञानिक उपन्यासों की आंशिक शुरुआत देखी जा सकती है। इसमें किशोर मन की भावुकता तथा अधेड़ मन की भोगलिप्सा का यथार्थपूर्ण चित्रण मिलता है। मुंशी प्रेमचन्द जी ने 'निर्मला' उपन्यास में दहेज प्रथा तथा बेमेल विवाह की समस्याओं को चित्रित किया है।

गबन (1931) 

इसमें लेखक ने पारिवारिक जीवन का मनोवैज्ञानिक चित्रण उपस्थित किया है। उन्होंने इस उपन्यास में नारी की आभूषण प्रियता और पुरुष का आत्म प्रदर्शन, मध्यवर्गीय समाज की इन दुर्बलताओं को पति-पत्नी के जीवन में चरितार्थ करते हुए स्वाभाविक और यथार्थ कथा की सृष्टि की है।

कर्मभूमि (1932) उपन्यास में मंदिर में अछूतों का प्रवेश निषेध, हरिजन समस्या, महंतों का आडम्बर और भोगलिप्सा, जनता का अंधविश्वास, मदिरा सेवन आदि सामाजिक और धार्मिक समस्याओं के साथ ही मजदूरों, किसानों की दुर्दशा, सरकारी दमन, पूंजीपतियों का शोषण, गरीब शहरी और ग्रामीण जनता की यथार्थता का चित्रण किया है और उनके प्रति पाठकों की सहानुभूति जागृत की है।

गोदान (1936) 

यह प्रेमचंद का प्रौढ़तम उपन्यास है। इस उपन्यास में मुंशी जी ने ग्रामीण कृषक जीवन की यथार्थता का चित्रण किया है। मंगलसूत्र (अपूर्ण) यह मुंशी जी का अधूरा उपन्यास था।

प्रेमचन्द जी के उपन्यासों की प्रमुख विशेषता आदर्शोन्मुखी यथार्थवाद रही है, जिसके कारण वे पाठकों में अति लोकप्रिय हुए हैं।

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हमें आशा है कि आप सभी UGC NET परीक्षा 2022 के लिए पेपर -2 हिंदी, 'प्रेमचंद युगीन उपन्यास' से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु समझ गए होंगे। 

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