Day 18: UGC NET कहानियों की संक्षिप्त व्याख्या - आकाशदीप, राही, अपना-अपना भाग्य

By Mohit Choudhary|Updated : June 18th, 2022

यूजीसी नेट परीक्षा के पेपर -2 हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण विषयों में से एक है हिंदी कहानी। इसे 4 युगों प्रेमचंद पूर्व, प्रेमचंदयुगीन, प्रेमचंदोत्तर, स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी कहानी हिन्दी उपन्यास में बांटा गया है।  इस विषय की की प्रभावी तैयारी के लिए, यहां यूजीसी नेट पेपर- 2 के लिए हिंदी कहानी के आवश्यक नोट्स कई भागों में उपलब्ध कराए जाएंगे। इसमें से UGC NET के कहानियों से सम्बंधित नोट्स  इस लेख मे साझा किये जा रहे हैं। जो छात्र UGC NET 2022 की परीक्षा देने की योजना बना रहे हैं, उनके लिए ये नोट्स प्रभावकारी साबित होंगे।                

जयशंकर प्रसाद - आकाशदीप (1929)

  • हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में प्रसाद जी की बहुमुखी देन है, क्योंकि इन्होंने काव्य, उपन्यास, कहानी, नाटक, निबन्ध, चम्पू आदि सभी विधाओं पर सबल और सशक्त रूप में लेखनी चलाई। 'कहानी' के क्षेत्र में प्रसाद जी का स्थान अत्यन्त गौरवपूर्ण है। 
  • 'आकाशदीप' कहानी छायावादी कवि एवं आधुनिक कहानीकार जयशंकर प्रसाद की सर्वाधिक चर्चित कहानी रही है। इसमें कहानीकार ने बड़ी ही सजगता के साथ इतिहास और कल्पना का सुन्दर सामंजस्य बिठाया है। प्रेम और कर्त्तव्य के अन्तर्द्वन्द्व को लेकर लिखी गई यह कहानी कर्त्तव्य भावना का समर्थन करती है।
  • 'आकाशदीप' कहानी में ऐसे वातावरण का सृजन किया गया है, जिसमें पाठक को समाज और राष्ट्र के लिए सर्वस्व त्याग की प्रेरणा मिलती है। बुद्धगुप्त एवं चम्पा के कथनों से पता चलता है कि मानव के नत में बन्धन मुक्त होने की कितनी तीव्र लालसा होनी चाहिए। आँधी, समुद्री लहरे एवं तेज हवाएँ मानव के जीवन में आने वाली बाधाएँ हैं, लेकिन हमे आशा नहीं छोड़नी चाहिए।
  • 'आकाशदीप' कहानी की भाषा पर प्रसाद जी के कवि हृदय का पर्याप्त प्रभाव रहा है। खड़ी बोली का सहज, सरल एवं प्रांजल रूप इसमें साकार हो उठा है। 
  • इस कहानी में उद्देश्य को स्पष्ट रूप से उजागर किया गया है। इसका उद्देश्य है- मानव के भीतर विश्वास की भावना जगाना, बिना सोचे-समझे किसी से घृणा न करने, गरीब असहायों की सेवा करने जैसी भावनाओं को जगाना। 
  • ‘चम्पा' के आचरण द्वारा बुद्धगुप्त के हृदय में दस्यु वृत्ति का त्याग करवाकर लेखक ने अपने उद्देश्य को दर्शाते हुए कहानी के अंत में कर्तव्य के सम्मुख प्रेम की बलि चढ़ा दी है। कर्तव्य की भावना को पुष्ट करना इसका प्रमुख उद्देश्य रहा है।

कहानी के प्रमुख पात्र

  1. बुद्धगुप्त कहानी का नायक होने के साथ-साथ वीर, साहसी पुरुष भी है, जो 'मणिभद्र' से युद्ध कर चम्पा व स्वयं को आजाद कराता है।
  2. चम्पा इस कहानी की नायिका है। वह एक वीर सेनापति की बहादुर सन्तान है। एक जलदस्यु की बन्दी है। बुद्धगुप्त की आदर्श एवं एकनिष्ठ प्रेमिका है।
  3. मणिभद्र कहानी का खलनायक है, जो चम्पा व बुद्धगुप्त दोनों को बन्दी बना लेता है।

सुभद्रा कुमारी चौहान- राही

  • सुभद्रा कुमारी चौहान राष्ट्रीय चेतना की एक सजग कवयित्री रही हैं। इन्होंने स्वाधीनता संग्राम में अनेक बार जेल यातनाएँ सहने के पश्चात् अपनी अनुभूतियों को कहानी में व्यक्त किया।
  • कहानी में अनीता के स्वप्न के रूप में माँगरोरी जाति के कल्याण का रास्ता बताया गया है कि गाँव में लघु उद्योगों के माध्यम से इन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। 
  • लेखिका कहानी के माध्यम से यह कहना चाहती है कि वास्तव में, भारत देश का कल्याण तभी सम्भव है जब यहाँ की जनता आत्मनिर्भर बने। गरीबी व भुखमरी जैसे अभिशाप समाज से समूल नष्ट हो जाएँ और देश मैं कम-से-कम भोजन व वस्त्र की उपलब्धता सभी को समान रूप से मिले। कहानी के माध्यम से लेखिका ने यह सन्देश दिया है कि समाज के गरीब व असहाय लोगों के उत्थान व कल्याण के लिए कार्य करना ही सच्ची देशभक्ति है।

कहानी के प्रमुख पात्र

  1. राही गरीब महिला, जिसे अनाज की चोरी के जुर्म में जेल हुई थी। 
  2. अनीता सम्पन्न वर्ग की महिला जो स्वतन्त्रता आन्दोलन में जेल गई थी।

जैनेन्द्र कुमार - अपना-अपना भाग्य

  • जैनेन्द्र कुमार हिन्दी को प्रेमचन्द परम्परा के प्रमुख साहित्यकारों में एक प्रसिद्ध साहित्यकार हैं। इन्होंने कहानी, उपन्यास, निबन्ध तथा आलोचना के क्षेत्र में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। 
  • ये पहले ऐसे लेखक थे, जिन्होंने हिन्दी कहानियों को मनोवैज्ञानिक गहराइयों से जोड़ा। इन्होंने कहानी को घटना के स्तर से उठाकर 'चरित्र' और 'मनोवैज्ञानिक' सत्य पर लाने का प्रयास किया। इन्होंने न केवल व्यक्ति और समाज के पारस्परिक सम्बन्धों की नई व्याख्या की, बल्कि व्यक्ति के मन को उचित महत्ता भी दी। इनके इस योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है।
  • 'अपना-अपना भाग्य' जैनेन्द्र कुमार द्वारा रचित एक प्रसिद्ध कहानी है, जिसमें उन्होंने बड़े ही मार्मिक ढंग से एक गरीब बच्चे का चित्रण किया है, जो भूख और ठण्ड के कारण दम तोड़ देता है और मृत्यु को उसका भाग्य मान लिया जाता है। 
  • अतः कह सकते हैं कि 'अपना-अपना भाग्य' कहानी में सामाजिक विषमता तथा अमीर-गरीब के बीच की खाई का वर्णन किया गया है, जो पाठक को सामाजिक परिस्थिति पर सोचने के लिए विवश करती है। 
  • साथ ही यह सन्देश भी देती है कि मनुष्य को अपनी मनुष्यता के धर्म का पालन करते हुए परोपकारी बनना चाहिए, ताकि समय आने पर किसी असहाय की सहायता की जा सके, क्योंकि एक छोटी सी सहायता ही किसी व्यक्ति की जान बचा सकती है।

कहानी के प्रमुख प्रात्र

  1. लेखक कहानी का एक पात्र जो उदासीन बुद्धिजीवी है। वह केवल घटना पर तटस्थ टिप्पणी करता है।
  2. लेखक का मित्र लेखक का मित्र भावुक स्वभाव का व्यक्ति है। उसके हृदय में बालक के प्रति सहानुभूति का भाव है। 
  3. बालक कहानी का मुख्य पात्र 10 वर्षीय बालक है, जो सहज और निश्छल स्वभाव का है। पूरी कहानी उसी के आस-पास घूमती है। वह उन अनेक भारतवासियों का प्रतिनिधित्व करता है, जो अपने-अपने भाग्य के सहारे जीवित हैं।

हमें आशा है कि आप सभी UGC NET परीक्षा 2022 के लिए पेपर -2 हिंदी, 'UGC NET के कहानियों' से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु समझ गए होंगे। 

Thank you.

Download the BYJU’S Exam Prep App Now. 
The most comprehensive exam prep app.

#DreamStriveSucceed

Comments

write a comment

Follow us for latest updates