राजस्थान के लोक देवता सीरीज: गोगाजी, राजस्थान GK

By Trupti Thool|Updated : March 26th, 2022

हेलो Students,

हम लेकर आये है राजस्थान GK की एक नयी सीरीज, आप इसमें लोक देवता पढेंगे। इसमें राजस्थान के लोक देवताओं के बारे में सारी जानकारी दी जाएगी। लोक देवता एक महत्वपूर्ण टॉपिक है जिसमें से हर प्रश्न पत्र में 5 से 10 प्रश्न तक पूछे जाते हैं । यह सीरीज पूर्णत हिंदी में प्रदान की जाएगी। आप इसे पढ़े और comment में फीडबैक जरुर दें अच्छी लगे तोह Upvote जरुर दें। 

हम लेकर आये है राजस्थान GK की एक नयी सीरीज, आप इसमें लोक देवता पढेंगे। इसमें राजस्थान के लोक देवताओं के बारे में सारी जानकारी दी जाएगी। लोक देवता एक महत्वपूर्ण टॉपिक है जिसमें से हर प्रश्न पत्र में 5 से 10 प्रश्न तक पूछे जाते हैं । यह सीरीज पूर्णत हिंदी में प्रदान की जाएगी। आप इसे पढ़े और comment में फीडबैक जरुर दें अच्छी लगे तोह Upvote जरुर दें।

आज का विषय है गोगाजीbyjusexamprep

राजस्थान के लोकदेवता

मारवाड़ के पंच पीर –

पंच पीरों के बारे में उक्त कथन प्रचलित है-

“पाबू, हड़बू, रामदे, मांगलिया मेहा।
 पाँचों पीर पधारजो गोगाजी गेहा।।“

गोगाजी , पाबूजी , हड़बूजी , रामदेव जी  ,मेहा जी।

गोगाजी चौहान :

  • जन्म- वि. सं. 1003 में।
  • जन्म स्थान - ददरेवा (चूरू)।
  • पिता-जेवरजी चौहान।
  • माता-बाछल दे।
  • पत्नी-कोलुमण्ड (फलोदी, जोधपुर) की राजकुमारी केलमदे (मेनलदे)।
  • गोगाजी से सम्बन्धित वाद्य यंत्र - डेरू।
  • मेला : गोगानवमी (भाद्रपद कृष्णा नवमी) को गोगामेड़ी, हनुमानगढ़ में
  • प्रतीक चिह्न - सर्प।
  • सवारी-नीली घोड़ी।
  • गोगाजी नागों के देवता के रूप में पूजे जाते हैं।
  • गोगाजी का अपने मौसेरे भाईयों अर्जन व सुर्जन ने मुस्लिम आक्रान्ताओं (महमूद गजनवी) की मदद से गोगाजी पर आक्रमण कर दिया। गोगाजी वीरतापूर्वक लड़कर शहीद हुए।
  • युद्ध करते समय गोगाजी का सिर ददरेवा (चूरू) में गिरा इसलिए इसे शीर्षमेडी (शीषमेडी) तथा धड़ नोहर (हनुमानगढ़) में गिरा इसलिए इसे धड़मेड़ी/ धुरमेड़ी/गोगामेड़ी भी कहते हैं।
  • महमूद गजनवी ने गोगाजी को जाहिर पीर (प्रत्यक्ष पीर) कहा।
  • गोगामेड़ी का निर्माण फिरोजशाह तुगलक ने करवाया। गोगामेड़ी के मुख्य द्वार पर बिस्मिल्लाह लिखा है तथा इसकी आकृति मकबरेनुमा है।
  • गोगामेड़ी का वर्तमान स्वरूप बीकानेर के महाराजा गंगासिंह की देन है।
  • गोगाजी के श्रद्धालु सांकल नृत्य करते हैं।
  • गोगामेड़ी में भाद्रपद मास में हिन्दू पुजारी तथा अन्य मास में मुस्लिम पुजारी (चायल) पूजा करते हैं।
  • खेजड़ी के वृक्ष के नीचे गोगाजी का निवास स्थान माना जाता है।
  • गोगाजी की ध्वजा सबसे बड़ी ध्वजा मानी जाती है।
  • ‘गोगाजी की ओल्डी‘ नाम से प्रसिद्ध स्थल-साँचौर (जालोर मे है )। 

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