UGC NET हिंदी नाटकों की संक्षिप्त व्याख्या- बकरी, आगरा बाजार, सिन्दूर की होली, महाभोज

By Mohit Choudhary|Updated : September 12th, 2022

यूजीसी नेट परीक्षा के पेपर -2 हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण विषयों में से एक है हिंदी नाटक। इसे 4 युगो प्रसाद पूर्व, प्रसादयुगीन, प्रसादोत्तर स्वतन्त्रता पूर्व, स्वातन्त्र्योत्तर हिन्दी नाटक में बांटा गया है।  इस विषय की की प्रभावी तैयारी के लिए, यहां यूजीसी नेट पेपर- 2 के लिए हिंदी नाटक के आवश्यक नोट्स कई भागों में उपलब्ध कराए जाएंगे। इसमें से UGC NET के नाटकों से सम्बंधित नोट्स  इस लेख मे साझा किये जा रहे हैं। जो छात्र UGC NET 2022 की परीक्षा देने की योजना बना रहे हैं, उनके लिए ये नोट्स प्रभावकारी साबित होंगे।       

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बकरी - सर्वेश्वर दयाल सक्सेना 

  • सर्वेश्वर दयाल सक्सेना द्वारा रचित बकरी नाटक वर्ष 1974 में प्रकाशित हुआ। नाटक लेखन क्रम में यह दूसरा तथा प्रकाशन क्रम में यह पहला नाटक है। इस नाटक के प्रकाशित होते ही सर्वेश्वर जी को हिन्दी के नाटककारों में विशिष्ट स्थान मिल गया।
  • 'बकरी' साधारण व्यक्ति का समसामयिक नाटक है। साधारण व्यक्ति के शोषण की कथा को साहसपूर्ण ढंग से इस नाटक में दर्शकों के सामने लाया गया है।। राजनीतिज्ञ लोग गांधी की 'बकरी' के माध्यम से जनता का शोषण कर रहे हैं। 
  • इस नाटक में गांधी जी के सिद्धान्तों का दुरुपयोग दिखाया गया है। किस प्रकार नाज भी गांधी की बकरी गाँवों में प्रयोग की जाती है। ग्रामीण जनता को आज गांधीवादी सिद्धांतों के जामे में दिखाकर नेता गण वोट प्राप्त करते हैं, फिर कुर्सी । गांधी जी के नाम पर आज भी जनता लुट रही है।

नाटक के प्रमुख पात्र

  • बकरी नाटक के प्रधान नायक या नायिका के रूप में कोई पात्र नहीं है।
  • पात्र नट, नटी, भिश्ती, दुर्जन सिंह, कर्मवीर, सत्यवीर, सिपाही, विपती (गरीब युवती) युव

आगरा बाजार- हबीब तनवीर 

  • हबीब तनवीर ने भारतीय समकालीन रंगकर्म को ऐसा नया मुहावरा दिया, जो विशुद्ध रूप से देशज होते हुए भी सार्वदेशिक और सार्वजनिक है। 
  • वर्ष 1954 में हबीब ने जामिया मिलिया के अध्यापकों एवं छात्रों के साथ आँखा गाँव के कुछ विद्यार्थियों को साथ लेकर नजीर अकबराबादी की कविताओं पर एक छोटा-सा रूपक तैयार किया। 
  • यह रूपक लोगों को बहुत पसन्द आया और धीरे-धीरे एक भरे पूरे नाटक की शक्ल अख्तियार करता गया, यह नाटक 'आगरा बाजार'।
  • आगरा बाजार नाटक का कथानक सुदूर अंचल की सामाजिक-सांस्कृतिक प्रयोग, राजनैतिक और आर्थिक क्रिया-कलापों पर आधारित है। पूरे नाटक का वातावरण एक ऐसे ककड़ी बेचने वाले के इर्द-गिर्द घूमता है, जिसकी ककड़ी कोई नहीं खरीदता। 
  • अनेक प्रयत्नों के बाद वह नजीर की लिखी कविता का सहारा लेता है और अंततः उसके माध्यम से उसकी ककड़ियाँ बिकने लगती हैं। इस नाटक के केन्द्र में साधारण व्यक्ति अपनी पूरी त्रासदी के साथ प्रतिबिम्बित होता है। नाटक में बाजार का पूरा माहौल है, जिसमें मेला, मदारी, उत्सव, पतंगबाजी, होली, कृष्णोत्सव हैं।

नाटक के प्रमुख पात्र

  1. ककड़ी बेचने वाला जिसके इर्द-गिर्द सम्पूर्ण नाटक का कथानक घूमता है।
  2. पुलिस वाला जो बेनजीर का ध्यान आकर्षित करने के लिए उसके सबसे सफल ग्राहक को खोमचे वालों के बीच झगड़ा कराने के आरोप में गिरफ्तार करता है।
  3. अन्य पात्र तरबूज वाला, कनमैलिया, पानवाला, मदारी, शायर, हमजोली. किताब वाला आदि हैं।

एक और द्रोणाचार्य- शंकर शेष 

  • एक और द्रोणाचार्य (1977) शंकर शेष का सर्वश्रेष्ठ नाटक है। इसके कथानक में वर्तमान शिक्षक की तुलना उस द्रोणाचार्य से की जाती है, जिसने एक शिक्षक को अन्याय सहन करने की परम्परा दी।
  • अरविन्द एक शिक्षक है, अरविन्द ईमानदार व स्वाभिमानी व्यक्ति है, वह कॉलेज के मैनेजर के पुत्र को छात्र 'अनुराधा' से दुष्कर्म में पकड़ लेते हैं। 
  • इसी के साथ कॉलेज के अध्यक्ष का पुत्र भी नकल करते हुए पकड़ा जाता है। कॉलेज का अध्यक्ष उसे धमकाता है और लालच देता है। इस पर अरविन्द टूट जाता है। वह अपनी रिपोर्ट वापस ले लेता है। प्रो. अरविन्द तनाव ग्रस्त और चिड़चिड़ा हो जाता है।

नाटक के प्रमुख पात्र

  1. अरविन्द एक शिक्षक जो ईमानदार व स्वाभिमानी है, लेकिन सत्ता के दबाव में उसके आदर्शात्मक सिद्धान्त व सोच धरी की धरी रह जाती है।
  2. विमलेन्दु शिक्षक के रूप में सत्ता व व्यवस्था के विरोध में अपनी जान गँवाने वाला पात्र है।
  3. अन्य पात्र अनुराधा, अध्यक्ष व अध्यक्ष का पुत्र, चन्दू, द्रोणाचार्य, दुर्योधन, अश्वत्थामा, द्रौपदी आदि।

सिन्दूर की होली - लक्ष्मीनारायण मिश्र (1934)

  • पण्डित लक्ष्मी नारायण मिश्र का जन्म उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के जलालपुर नामक गाँव में हुआ था। उनके नाटक वर्ष 1930 और 1950 के बीच बहुत लोकप्रिय हुए थे और विद्यालयों व महाविद्यालयों में मंचित किए जाते थे। 
  • मिश्रजी द्वारा रचित 'अशोक' नाटक के बाद उन्होंने सामाजिक एवं सांस्कृतिक नाटकों का सृजन किया। इन्होंने 'राजयोग', 'सिन्दूर की होली' सन्यासी, राक्षस का मन्दिर, मुक्ति का रहस्य, आधी रात आदि नाटकों की रचना की। 
  • इन सामाजिक-सांस्कृतिक नाटकों के प्रकाशन के बाद मिश्रजी हिन्दी के नाट्य साहित्य के एक प्रमुख स्तम्भ मान लिए गए।

नाटक के प्रमुख पात्र

  1. मुरारीलाल डिप्टी कलेक्टर, 10 हजार रुपये घूस लेकर रजनीकांत नामक लड़के की हत्या का मार्ग निरापद कर देता है।
  2. चन्द्रकान्ता मुरारीलाल की लड़की जो रजनीकान्त से प्रेम करती है तथा विवाहित होते हुए भी मृत रजनीकान्त के हाथों अपनी माँग में सिन्दूर डलवाकर उसकी विधवा बन जाती है।
  3. भगवन्त सिंह रजनीकान्त का हत्यारा
  4. रजनीकान्त अचेत युवक तथा चन्द्रकला का प्रेमी

महाभोज - मन्नू भण्डारी (1979)

  • मन्नू भण्डारी द्वारा लिखित 'महाभोज' पहले उपन्यास के रूप में छपा तत्पश्चात् नाटक के रूप में आया। यह हिन्दी साहित्य की एकमात्र कृति है, जो उपन्यास व नाटक दोनों ही रूपों में मंच पर सफलतापूर्वक मंचित हुई। 
  • महाभोज का बीजसूत्र 1977 में घटित बिहार के पटना जिले का बेलछी नरसंहार है। इस नाटक के मूल में भारत की आजादी के सपनों से मोहभंग, कानून और न्याय व्यवस्था के पतन, सत्ता और व्यवस्था का अपराधीकरण, अमानवीयता तथा जनता का केवल वोटर के रूप में परिणत होना है।
  • महाभोज नाटक अँधेरे समय में अँधेरे के बारे में एक गीत था। यह नाटक भारतीय रंगमंच में एक ऐतिहासिक महत्त्व की परिघटना है, लेकिन दुःखद सच यह है कि नाटक में वर्णित स्थितियाँ-परिस्थितियाँ सुधरने के स्थान पर कहने, सुनने, देखने, समझने की सभी सीमाओं को पार कर शर्मनाक रूप से क्रूर से क्रूरतम रूप धारण कर आज आवश्यकता से अधिक खतरनाक और अराजक हो गई हैं। अतः आज 'महाभोज' नाटक का महत्त्व और अधिक बढ़ गया है।

नाटक के प्रमुख पात्र

  1. बिसेसर उर्फ बिस्सु जो सरोहा गाँव की हरिजन बस्ती की आगजनी की घटना के -सबूतों को सक्षम अधिकारियों को सौंपकर बस्ती के लोगों को न्याय दिलाना चाहता है, किन्तु राजनीतिक षड्यन्त्र में मारा जाता है।
  2. सक्सेना पुलिस अधीक्षक जो वंचितों के प्रतिरोध को जारी रखता है।

हमें आशा है कि आप सभी UGC NET परीक्षा 2022 के लिए पेपर -2 हिंदी, 'UGC NET के नाटकों' से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु समझ गए होंगे। 

Thank you

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