हिन्दी गद्य की विधाओं को प्रमुखतः मुख्य और गौण दो भागों में विभाजित किया गया है। मुख्य विधाएँ हैं- नाटक, एकांकी, निबंध, कहानी, उपन्यास, समालोचना।
गौण विधाओं में जीवनी, आत्मकथा, यात्रा वृत्तान्त, रेखाचित्र, संस्मरण, रिपोर्ताज, डायरी आदि हैं। इनमे से रेखाचित्र एवं संस्मरण के मुख्य बिंदुओं चर्चा करेंगे।
रेखाचित्र
- जब शब्दों के माध्यम से किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व को उभारा जाता है तब उस रचना को रेखाचित्र कहते हैं।
- डॉ. गोविन्द त्रिगुणायत के अनुसार, "रेखाचित्र वस्तु, व्यक्ति अथवा घटना का शब्दों द्वारा विनिर्मित यह मर्मस्पर्शी और भावमय रूप विधान है, जिसमें कलाकार का संवेदनशील हृदय और उसकी सूक्ष्म पर्यवेक्षण दृष्टि अपना निजीपन उड़ेलकर प्राण प्रतिष्ठा कर देती है।"
- इस प्रकार रेखाचित्र में शब्दों का ऐसा प्रयोग किया जाता है जिससे व्यक्ति का व्यक्तित्व उभरकर सामने आए। रेखाचित्र का वर्ण्य विषय काल्पनिक न होकर वास्तविक होता है और उसकी आंतरिक एवं बाह्य विशेषताएं कलात्मक ढंग से अभिव्यक्ति पाती है।
- रेखाचित्र का उद्भव शताब्दी के तीसरे दशक से प्रारम्भ हुआ। डॉ. हरवंशलाल शर्मा ने पंडित पद्म सिंह शर्मा को संस्मरण व रेखाचित्र दोनों का जनक माना है।
- पद्मसिंह शर्मा कृत 'पद्म पराग' हिन्दी का प्रथम रेखाचित्र संग्रह है। इसमें संस्मरणात्मक निबन्धों तथा रेखाचित्रों का संकलन है।
- हिन्दी रेखाचित्र साहित्य में महादेवी वर्मा का नाम सर्वप्रथम उल्लेखनीय है।
- महादेवी वर्मा उत्कृष्ट रेखाचित्रकार हैं। इनके स्मृति चित्रों को रेखाचित्र व संस्मरण दोनों में ही स्थान दिया जाता है। वर्ष 1947 में 'स्मृति की रेखाएँ प्रकाशित हुआ। इसमें संस्मरण व रेखाचित्र दोनों हैं जिनमें भक्तिन, चीनी फेरीवाला, जंग बहादुर, ठकुरी बाबा, बिबिया आदि उल्लेखनीय हैं।
- वर्ष 1941 में अतीत के चलचित्र प्रकाशित हुआ। महादेवी वर्मा ने उपेक्षित व शोषित व्यक्तियों, पशुओं तथा पक्षियों को संस्मरणात्मक रेखाचित्रों में जगह दी है।
संस्मरण
- संस्मरण को अंग्रेजी में 'मेमोयर्स' कहते हैं। संस्मरण का सम्बन्ध लेखक की स्मृति से होता है। स्मृति में हो अंकित होता है जिसने लेखक की भावनाओं को उद्वेलित (प्रभावित किया हो। हिन्दी संस्मरण लेखन का कार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के समय से प्रारम्भ हुआ।
- द्विवेदी जी ने स्वयं 'अनुमोदन अन्त', 'सभा की सत्ता विज्ञानाचार्य वसु का मन्दिर आदि संस्मरणात्मक लेखों की रचना की। संस्मरण व रेखाचित्र दोनों ही आधुनिक विधाएं हैं।
- डॉ. पद्मसिंह शर्मा के अनुसार, "प्रायः प्रत्येक संस्मरण लेखक रेखाचित्र लेखक भी है और प्रत्येक रेखाचित्र लेखक संस्मरण लेखक भी है।" इसी कारण रेखाचित्र व संस्मरण में भेद कर पाना कठिन हो जाता है।
- बालमुकुन्द गुप्त जी ने प्रतापनारायण मिश्र पर एक संस्मरण लिखा है। इसी प्रकार आचार्य रामदेव ने स्वामी श्रद्धानन्द पर वर्ष 1929 में तथा पण्डित बनारसी दास चतुर्वेदी ने श्रीधर पाठक पर संस्मरण लिखे हैं।
- महादेवी वर्मा के संस्मरणों से उनका व्यक्तित्व भी उजागर होता है। रेखाचित्रों के अतिरिक्त महादेवी वर्मा जी के 'पथ के साथी' (1956) में महादेवी वर्मा ने अपने समकालीन साहित्यकारों के संस्मरण प्रस्तुत किए हैं।
- बनारसीदास चतुर्वेदी के रेखाचित्रों में प्रमुख साहित्यकारों, राजनीतिज्ञों, देशभक्तों एवं समाजसेवकों के चरित्र अंकित किए गए हैं। हमारे आराध्य, संस्मरण (1952), रेखाचित्र (1952) इनके संस्मरणात्मक रेखाचित्र हैं।
- शिवपूजन सहाय के संस्मरण तथा रेखाचित्र 'वे दिन वे लोग' (1965) मे संकलित हैं। सत्यवती मलिक के संस्मरण तथा रेखाचित्र 'अमिट रेखाएं'' (1951) में संकलित हैं। देवेन्द्र सत्यार्थी भावनात्मक संस्मरण व रेखाचित्र लिखने में प्रसिद्ध हैं।
- उपेन्द्रनाथ 'अश्क' के संस्मरण व रेखाचित्र 'रेखाएँ व चित्र' (1955), 'मन्टो मेरा दुश्मन' (1956) और 'ज्यादा अपनी कम पराई' (1959) में संकलित हैं। हिन्दी के प्रख्यात रसवादी आलोचक एवं निबन्धकार डॉ. नगेन्द्र का स्मृति चित्र है— चेतना के बिम्ब (1967)। इस संस्मरण में नगेन्द्र जी ने गम्भीर विश्लेषण किया है।
- रामवृक्ष बेनीपुरी कृत 'माटी की मूरतें' में रजिया, बलदेव सिंह, सरजू भइया, भउजी, बैजू मामा, बुधिया, मंगर, रूपा की आजी, बालगोबिन भगत आदि ग्रामीण परिचितों के रेखाचित्र है।
- रामवृक्ष बेनीपुरी कृत 'गेहूँ और गुलाब' के अधिकांश रेखाचित्र प्रतीकात्मक हैं, जैसे-गेहूँ और गुलाब, चरवाहा, मीरा नाची रे, घासवाली आदि।
- 'बेनीपुरी जी' द्वारा लिखित 'मील के पत्थर' में साहित्यकारों के रेखाचित्र है।
- संस्मरण साहित्य को अलंकृत करने में माखनलाल चतुर्वेदी, रामधारी सिंह दिनकर, हरिवंश राय बच्चन आदि प्रसिद्ध रहे हैं। चतुर्वेदी पाँव' (1962) में अनेक भावपूर्ण रेखाचित्र अंकित किए हैं।
- हरिवंशराय बच्चन की कृति 'नए-पुराने झरोखे' वर्ष 1962 में प्रकाशित हुई। इसमें बच्चन जी ने आधुनिक हिन्दी साहित्य पर टिप्पणियाँ करते हुए उसकी दुर्बलताओं व सबलताओं को अंकित किया है।
हिन्दी रेखाचित्र एवं संस्मरण विधा के अंतर्गत पर्याप्त कार्य हुआ है। पत्र-पत्रिकाओं में इस विधा से सम्बन्धित लेख निकलते रहते हैं। साहित्यकारों, राजनेताओं और समाजसेवियों से सम्बन्धित अनेक संस्मरणात्मक रेखाचित्र विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं।
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हमें आशा है कि आप सभी UGC NET परीक्षा 2022 के लिए पेपर -2 हिंदी, 'कथेतर गद्य' से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु समझ गए होंगे।
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