हिन्दी गद्य की विधाओं को प्रमुखतः मुख्य और गौण दो भागों में विभाजित किया गया है। मुख्य विधाएँ हैं- नाटक, एकांकी, निबंध, कहानी, उपन्यास, समालोचना।
गौण विधाओं में जीवनी, आत्मकथा, यात्रा वृत्तान्त, रेखाचित्र, संस्मरण, रिपोर्ताज, डायरी आदि हैं। इनमे से जीवनी के मुख्य बिंदुओं चर्चा करेंगे।
जीवनी
- किसी भी महान् व्यक्ति का सम्पूर्ण विवरण क्रमशः महत्त्वपूर्ण घटनाओं के माध्यम से किसी अन्य लेखक द्वारा लिखा जाना जीवनी कहलाती है।
- हिन्दी में जीवनी लेखन 19वीं शताब्दी से प्रारम्भ हुआ। सर्वप्रथम बाबू कार्तिक प्रसाद खत्री ने 1893 ई. में मीराबाई का जीवन चरित्र लिखा। इसके बाद भारतेन्दु युग से जीवनी लिखने का क्रमबद्ध इतिहास मिलता है।
- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने कालिदास, रामानुज, जयदेव, सूरदास, शंकराचार्य बल्लभाचार्य आदि की जीवनियाँ लिखों महावीर प्रसाद द्विवेदी ने भी कई महापुरुषों की जीवनियाँ लिखीं, जो सुकवि संकीर्तन, प्राचीन पण्डित और कि तथा चरित्र चर्चा नामक ग्रन्थों में संकलित हैं।
- छायावाद युग में जीवनी लेखन की परम्परा काफी समृद्ध रही। इस युग में प्रसिद्ध राष्ट्रीय नेताओं के जीवन वृत्त में रामनरेश त्रिपाठी कृत गांधी जी कौन हैं? नरोत्तमदास कृत 'गांधी गौरव’ उल्लेखनीय हैं।
- छायावाद युग में ऐतिहासिक विभूतियों पर भी जीवनियाँ लिखी गई। रामनरेश त्रिपाठी ने पृथ्वीराज चौहान, सम्पूर्णानन्द ने सम्राट हर्षवर्धन, चंद्रशेखर पाठक ने राणा प्रताप सिंह, रामवृक्ष शर्मा ने महाराणा प्रताप, प्रेमचंद ने दुर्गादास 'भदन्त आनन्द' कौसल्यायन ने भगवान बुद्ध, यदुनाथ सरकार ने शिवाजी की जीवनी आदि महत्त्वपूर्ण जीवनियाँ लिखी हैं।
- महात्मा गांधी की जीवनी कई लोगों ने लिखी जिनमें घनश्यामदास बिड़ला कुठे 'बापू', काका कालेलकर कृत 'बापू की झांकियों', सुमंगल प्रकाश कृत 'बापू के साथ', राजेन्द्र प्रसाद कृत 'बापू के कदमों में', जैनेन्द्र कुमार कृत 'अकाल पुरुष गांधी' विशेष उल्लेखनीय हैं।
- विशिष्ट साहित्यकारों के जीवन वृत्तों में बाबू राधाकृष्ण दास ने 'भारतेन्दु बाबू हरिश्चन्द्र', बजरत्न दास ने 'भारतेन्दु हरिश्चन्द्र', शिवनंदन सहाय ने 'हरिश्चन्द्र', रामचन्द्र शुक्ल ने 'बाबू राधाकृष्णदास', बरुआ ने 'माखनलाल चतुर्वेदी', गंगा प्रसाद पाण्डेय ने 'महाप्राण निराला', शिवरानी देवी ने 'प्रेमचंद घर में', उमेशचन्द्र मिश्र ने 'विश्व कवि रवीन्द्रनाथ', अमृतराय 'प्रेमचंद : कलम का सिपाही', रामविलास शर्मा ने ‘निराला की साहित्य साधना' अत्यंत महत्त्वपूर्ण जीवनियाँ लिखी हैं।
- विष्णु प्रभाकर ने वर्ष 1974 में आवारा मसीहा को रचना की। इसमें उन्होंने शरतचन्द्र के जीवन से सम्बन्धित समस्त जीवन की उपलब्ध सामग्री का अनुशीलन करके उनकी प्रतिभा का पुनसृजन किया है।
- इसी प्रकार शिवसागर मिश्र ने 'दिनकर : एक सहज पुरुष' में दिनकर के मानवीय पक्ष को उभारने का प्रयास किया है। शोभाकान्त ने 'बाबूजी' में नागार्जुन के जीवन के अछूते प्रसंगों को उभारने का प्रयास किया है।
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हमें आशा है कि आप सभी UGC NET परीक्षा 2021 के लिए पेपर -2 हिंदी, 'कथेतर गद्य' से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु समझ गए होंगे।
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