UGC NET की डायरी एवं व्यंग्य, आलोचनात्मक रचनाओं की समीक्षा

By Mohit Choudhary|Updated : June 24th, 2022

यूजीसी नेट परीक्षा के पेपर -2 हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण विषयों में से एक है हिंदी कथेतर गद्य। इसे रेखाचित्र, संस्मरण, जीवनी, आत्मकथा, यात्रा वृत्तान्त, रिपोर्ताज, डायरी में बांटा गया है।  इस विषय की की प्रभावी तैयारी के लिए, यहां यूजीसी नेट पेपर- 2 के लिए हिंदी कथेतर गद्य के आवश्यक नोट्स कई भागों में उपलब्ध कराए जाएंगे। इसमें से UGC NET के कथेतर गद्य से सम्बंधित नोट्स  इस लेख मे साझा किये जा रहे हैं। जो छात्र UGC NET 2022 की परीक्षा देने की योजना बना रहे हैं, उनके लिए ये नोट्स प्रभावकारी साबित होंगे।    

मुक्तिबोध - एक साहित्यिक की डायरी

  • भारत के प्रगतिशील कवि और हिन्दी साहित्य की स्वातन्त्र्योत्तर प्रगतिशील काव्यधारा के शीर्ष व्यक्तित्व गजानन माधव मुक्तिबोध द्वारा 'एक साहित्यिक की 'डायरी' पुस्तक लिखी गई है। यह पुस्तक भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा 25 जून, 2000 में प्रकाशित की गई थी। मुक्तिबोध की डायरी उस सत्य की खोज है, जिसके आलोक में कवि ने अपने अनुभव को सार्वभौमिक अर्थ दिया है। 
  • हिन्दी में डायरी की विधा की यह प्रथम कृति है जो फैंटेसी, मनोविश्लेषण, तर्क कविता, आत्माख्यान के विविध स्तरों पर एक साथ चलती है। इस कृति में शैली, गुण और विकार तत्त्व दोनों ही विद्यमान हैं।
  • मुक्तिबोध की डायरी की भाषा सहज सरलता के कलेवर से युक्त है। उनका विचार-विमर्श और लम्बे-लम्बे संवाद एक विशेष प्रकार की संवेदनात्मक उपस्थिति दर्ज करते हैं। इसमें विचारों की गम्भीरता है तथा भावात्मक व आत्मपरक तत्त्व शामिल हैं।

रामधारी सिंह दिनकर- संस्कृति के चार अध्याय

  • 'संस्कृति के चार अध्याय' हिन्दी के विख्यात साहित्यकार रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित एक भारतीय संस्कृति का सर्वेक्षण है, जिसके लिए उन्हें वर्ष 1959 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • यह पुस्तक पूरी तरह से भारतीय संस्कृति की प्राचीन भारत से लेकर आज़ादी तक के आधुनिक भारत पर शोधपरक तथ्यों के साथ लिखी गई है। इसमें आर्य और द्रविड़ समस्याएँ, वैदिक संस्कृति, बौद्ध आन्दोलन के कारण और उसके प्रभाव, इस्लाम का आगमन तथा इस्लाम का हिन्दुत्व पर प्रभाव, सिख मत, भारतीय संस्कृति पर यूरोप का प्रभाव, गांधी जी, तिलक, स्वामी विवेकानन्द, ब्रह्म समाज आदि का राष्ट्रीय एकता में योगदान आदि विषयों को क्रमबद्ध तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
  • इसके माध्यम से हम जान सकते हैं कि हमें अपने देश की विरासतों पर गर्व क्यों करना चाहिए तथा अपनी संस्कृति से प्रेम क्यों करना चाहिए। भारत में होने वाले सभी धार्मिक जागरणों व भक्ति जागरणों में तुलसी, कबीर और गुरुनानक भी थे और इनका उद्देश्य समाज सुधार था, लेकिन विवेकानंद ने पश्चिम से वैज्ञानिकता पर सीख लेने के लिए ज़ोर दिया, लेकिन साथ ही अपने दर्शन व संस्कृति पर गर्व करने की बात भी कही। 
  • इस देश के निर्माण में हर व्यक्ति का योगदान है। एक तरह से उपयुक्त पुस्तक प्रागैतिहासिक युग से लेकर आधुनिक काल तक का भारत का सांस्कृतिक इतिहास है।  यह भारतीय सभ्यता की जड़ों और पहलुओं का बखूबी अन्दाजा देती है।

हरिशंकर परसाई - भोलाराम का जीव

  • परसाई जी की रचना 'भोलाराम का जीव' एक व्यंग्य रचना है। इस रचना में लेखक ने एक मनुष्य की आत्मा के लुप्त हो जाने की घटना के ध्यम से शासकीय व्यवस्था, घूसखोरी जड़ता और यथार्थ का उद्घाटन किया है। 
  • यह कहानी सतही तौर पर एक व्यक्ति की व्यथा कथा दिखाई देती हैं, जो भ्रष्टाचार की चक्की में पिस रहा है, परन्तु इस कथा के पीछे लेखक की मानवीय करुणा और सामाजिक यथार्थ के प्रति आक्रोश झलकता है।
  • यह रचना स्वातंत्र्योत्तर भारत के सामाजिक यथार्थ की सशक्त प्रस्तुति है। एक मामूली सरकारी कर्मचारी रिटायर हो गया और पाँच साल तक पेंशन के लिए चक्कर लगाते-लगाते मर गया। उसके जीव को लेने जब यमदूत गया तो जीव यमदूत को चकमा देकर ऐसा गायब हुआ कि बहुत खोजने पर भी नहीं मिला। आखिरकार जब नारद जी उसे ढूँढ़ते हुए स्वयं धरती पर आए तो वह जीव अपनी पेंशन फाइल में अटका हुआ पाया गया।
  • आश्चर्य यह था कि नारद जी के कहने पर भी वह स्वर्ग में जाने को तैयार नहीं, क्योंकि उसका मन अपनी पेंशन फाइलों में ही अटक गया है। कहानी के माध्यम से परसाईं जी यह बताना चाहते हैं कि जिस भ्रष्टाचार से आज हम दबे हुए हैं वह इतना सर्वव्यापी है कि आज उसकी पहुँच अलौकिक हो गई। इस कहानी के प्रारम्भ में ही लेखक स्वर्ग और नरक की दिव्यता अलौकिकता का मिथक तोड़ देते हैं।

कृष्ण चन्दर - जामुन का पेड़

  • कृष्ण चन्दर की प्रसिद्ध कहानी 'जामुन का पेड़ एक व्यंग्यात्मक कहानी है। यह कहानी एक ऐसे फलदायी पेड़ के चारों ओर घूमती है, जिसके नीचे दबकर एक व्यक्ति अपने प्राणों को त्याग देता है।
  • कहानी के प्रारम्भ में सेक्रेटेरियट के लॉन में जामुन का एक पेड़ गिर जाता है। देखने पर पता चलता है कि पेड़ के नीचे एक आदमी भी दबा हुआ है। वहाँ खड़े लोग उसे निकालने का प्रयास करते हैं, परन्तु व्यापार विभाग का यह निर्णय आता है कि फाइल कृषि विभाग भेजी जा रही है। 
  • इस प्रकार फाइल एक विभाग से दूसरे विभाग जाती रहती है। यहाँ दबे हुए व्यक्ति की फाइल एक विभाग से दूसरे विभाग, दूसरे से तीसरे विभाग चलती रहती है, किन्तु कोई निर्णय नहीं लिया जाता। अन्त में फाइल प्रधानमन्त्री के पास पहुँचती है और पेड़ को काटने का हुक्म दे दिया जाता है। 
  • अन्त में पेड़ उठाने या काटने की कार्यवाही में इतनी अधिक देर हो जाती है कि पेड़ के नीचे दबा हुआ व्यक्ति अपने प्राणों से हाथ धो बैठता है। इस प्रकार जामुन के पेड़ के नीचे दबा व्यक्ति सरकारी कर्मचारियों की उदासीनता और लापरवाही के कारण दम तोड़ देता है।
  • प्रस्तुत कहानी 'जामुन का पेड़' के माध्यम से कहानीकार ने सरकारी दफ्तरों और विभागों द्वारा की जाने वाली लापरवाही पर तीखा व्यंग्य करते. हुए यह बताया है कि सरकारी कार्यालयों में समय पर कोई भी फैसला नहीं लिया जाता और मामला ज्यों-का-त्यों एक विभाग से दूसरे विभाग तक चलता रहता है।
  • कभी-कभी तो निर्णय आने में इतना विलंब हो जाता है कि उसका कोई महत्व ही नहीं रह जाता है। यही कारण है कि साधारण व्यक्ति इन सबसे दूर रहना चाहता है।

हमें आशा है कि आप सभी UGC NET परीक्षा 2022 के लिए पेपर -2 हिंदी, 'कथेतर गद्य' से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु समझ गए होंगे। 

Thank you

 

Download the BYJU’S Exam Prep App Now. 

The most comprehensive exam prep app.

#DreamStriveSucceed

Comments

write a comment

Follow us for latest updates