अम्बेडकर दर्शन
- डॉ. भीमराव अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ। अम्बेडकर जी को विलक्षण प्रतिभा का धनी माना जाता है। वह अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाजसुधारक थे। उन्होंने दलितों के उद्धार के लिए कई आंदोलन चलाए, किसान और महिलाओं के अधिकारों के लिए भी सदैव समर्पित रहे।
- वह स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मंत्री बने व भारतीय संविधान के एवं आधुनिक भारत के निर्माता बने।
जाति व वर्ण विहीन समाज की परिकल्पना
- डॉ. भीमराव अम्बेडकर एक समतामूलक समाज की स्थापना करना चाहते थे। उनका मूल दर्शन देखें तो उनका उद्देश्य वर्ग व जाति विहीन समाज की स्थापना करना था।
- उनकी इस परिकल्पना के पीछे दलित पिछड़ों की सामाजिक, राजनीतिक एवं शैक्षणिक परिस्थितियाँ थीं, हजारों साल से यह परिस्थितियाँ ज्यों-की-त्यों बनी हुई थीं। बाबा साहब के सम्पूर्ण जीवन पर यदि नजर डालें तो यह बात उभरकर आती है कि यदि भारत हजारों जातियों में बंटा नहीं होता तो, विदेशी आक्रमणकारियों से कभी पराजित भी नहीं होता।
- वह भारत के गुलाम होने का कारण जाति व्यवस्था को मानते थे, क्योंकि देश की रक्षा की जिम्मेदारी एक विशेष जाति के हाथों में थी और शेष जातियाँ इससे दूर थीं। जातियों में बँटे होने के कारण देश में बन्धुत्व का अभाव था और आज भी समाज में यह विद्यमान है और कोई भी राजनीतिक दल यह स्वीकार नहीं कर सकता कि वह इससे ऊपर उठा है।
डॉ. अम्बेडकर द्वारा राष्ट्र हित में किए गए कार्य
- डॉ. अम्बेडकर ने हर वर्ग के प्रतिनिधित्व की बात पर हमेशा जोर दिया, चाहे वह महिला हो, दलित हो, पिछड़े हो या सामान्य वर्ग हों वह अपनी रचनाओं में सबके विकास की बात करते हैं, किन्तु आजादी के पश्चात् सामाजिक ढाँचा सुधरने की बजाय और अधिक जटिल हो गया है, सभी वर्ग वोट बैंक बन गए हैं।
- डॉ. अम्बेडकर का मूल सन्देश “शिक्षित बनो, संगठित रहो व संघर्ष करो” है, किन्तु इसका पहला अंश ही पूर्ण नहीं हो पाया है। वर्तमान में भी भारत पूर्ण रूप से शिक्षित राष्ट्र नहीं माना जाता है।
- डॉ. अम्बेडकर के द्वारा किए गए कार्यों का प्रभाव भारतीय समाज पर बहुत कुशलता से हुआ, हालात पूर्ण रूप से तो सुदृढ़ नहीं हुए, किन्तु वर्तमान में दलित-पिछड़े वर्ग तथा महिलाओं की स्थिति बेहतर हुई।
- 26 नवम्बर, 1949 को भारत का संविधान बनकर तैयार हुआ, जिसमें डॉ. अम्बेडकर ने 'सर्वजन हिताय' की बात पर प्रमुख जोर दिया।
- 26 जनवरी, 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ, जिससे समाज के हर व्यक्ति को वोट देने का अधिकार, शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार व अपनी सम्पत्ति रखने का अधिकार प्राप्त हुआ। सत्ता एक विशेष वर्ग के हाथ से निकलकर सामान्य जन के हाथ में आ गई। भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतन्त्र बनकर विश्व के समक्ष आया।
- उन्होंने समाज में समानता व्याप्त करने के लिए कई आन्दोलन भी किए, जिसमें उनके द्वारा किया गया महाड़ सत्याग्रह प्रमुख है, जिसमें उन्होंने अछूतों को तालाब से पानी लेने की प्रक्रिया को शुरू कराया। अभिजात वर्ग इसका विरोध करते थे, किन्तु इस सत्याग्रह के पश्चात् इस कुप्रथा का अन्त हुआ।
- डॉ. अम्बेडकर एक व्यक्ति न होकर पूरी संस्था स्वरूप थे, उन्हें 'सिम्बल ऑफ नॉलेज' नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने केवल दलितों के लिए हो नहीं, अपितु सम्पूर्ण भारतवर्ष के लोगों के लिए अनेक कार्य किए।
- रिज़र्व बैंक की स्थापना में डॉ. अम्बेडकर ने विशेष योगदान दिया। वह अर्थशास्त्री थे, वह संविधान सभा में प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे, उन्होंने भारत का संविधान लिखकर एक बड़े लोकतान्त्रिक राष्ट्र की नींव रखी।
उपसंहार
- जिस प्रकार भारत के लिए गांधी दर्शन आवश्यक है, उसी प्रकार अम्बेडकर दर्शन भी आवश्यक है। अम्बेडकर दर्शन छात्रों के लिए परम आवश्यक है, वह छात्रों के लिए आदर्श स्वरूप है।
- अम्बेडकर दर्शन से सभी वर्गों को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। वर्तमान में दिल्ली सरकार ने स्कूलों के पाठ्यक्रम में डॉ. अम्बेडकर जी की शिक्षा को निहित करने का प्रयास किया है।
- डॉ. अम्बेडकर गुलामी की जंजीरों को तोड़ने की बात करते थे। भारत में सामाजिक स्थिति में सुधार के पश्चात् भी वर्तमान में जाति व्यवस्था विद्यमान है।
- जाति विहीन समाज की स्थापना तब तक रफ्तार नहीं पकड़ेगी जब तक तथाकथित अभिजात वर्ग के लोग इसमें भागीदारी नहीं करेंगे। डॉ. अम्बेडकर के स्वप्न के साकार करने के लिए सभी वर्गों को साथ मिलकर कार्य करने होंगे।
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