Study Notes मनोविश्लेषणवाद

By Mohit Choudhary|Updated : June 28th, 2022

यूजीसी नेट परीक्षा के पेपर -2 हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण विषयों में से एक है वैचारिक पृष्टभूमि। इस विषय की की प्रभावी तैयारी के लिए, यहां यूजीसी नेट पेपर- 2 के लिए मनोविश्लेषणवाद के आवश्यक नोट्स में उपलब्ध कराए जाएंगे। इसमें से UGC NET के मनोविश्लेषणवाद से सम्बंधित नोट्स  इस लेख मे साझा किये जा रहे हैं। जो छात्र UGC NET 2022 की परीक्षा देने की योजना बना रहे हैं, उनके लिए ये नोट्स प्रभावकारी साबित होंगे।

मनोविश्लेषणवाद

  • मनोविज्ञान के क्षेत्र में सिगमण्ड फ्रायड के नाम से सभी लोग परिचित है फ्रायड ने व्यक्तित्व के जिस सिद्धान्त का प्रतिपादन किया, उसे व्यक्तित्व का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त कहा जाता है। 
  • मानव व्यवहार का अध्ययन मनोविज्ञान के अन्तर्गत किया जाता है, परन्तु साहित्यकार मानव व्यवहार का विश्लेषण करता है। पश्चिमी देशों के साहित्यकारों ने फ्रायड, एडलर एवं युग के सिद्धान्तों का उपयोग अपने पात्रों के चरित्रांकन में किया। 
  • हिन्दी में कुछ उपन्यासकार ऐसे हैं जो इन मनोवैज्ञानिकों से परिचित हैं। इनमें कुछ प्रमुख हैं- इलाचन्द्र जोशी, अज्ञेय, जैनेन्द्र कुमार आदि ।
  • फ्रायड महोदय ने अवचेतन मन एवं काम भावना को अपने मनोविश्लेषण में प्रमुख स्थान दिया। फ्रायड की मान्यता है कि काम भावना, मानव मन की मूल परिचालिका शक्ति है। फ्रायड के अनुसार, धर्म, अर्थ, काम, साहित्य और संस्कृति मूल प्रेरणा कामवृत्ति है। 
  • सर्जक (साहित्यकार एवं कलाकार) कल्पनाशील होने के कारण अपनी वर्जनाओं को काम प्रतीकों के रूप में अभिव्यक्त करता है। मनुष्य जब सामाजिक मूल्यों या नैतिकता के बन्धनों के कारण अपनी काम प्रवृत्ति एवं वासना का दमन करता है तो वह उसके अवचेतन मन में कुंठा का रूप धारण कर लेती है। साहित्य एवं कला इन वासनाओं एवं मनोग्रन्थियों के रेचन का मार्ग प्रशस्त करती है।
  • फ्रायड के अनुसार, मानव मन के तीन भाग होते हैं-
  1. चेतन
  2. अनुभव
  3. अवचेतन
  • चेतन मन में इच्छाएँ, प्रेरणाएँ, संवेदनाएँ आती हैं, जिसमें व्यक्ति चेतन अवस्था में होता है, इनका सम्बन्ध वर्तमान समय से होता है। मनुष्य चेतन मन से सब कुछ देखता व अनुभव करता है, सोचने-समझने का सारा कार्य चेतन मन से होता है, जबकि अर्द्धचेतन मन में दबी इच्छाओं एवं सुप्त वासनाओं का गृह स्थान है। यही दबी हुई इच्छाएँ, अवसर, अनुसार, साहित्य एवं कला में अभिव्यक्त होती हैं। चेतन एवं अवचेतन दोनों में द्वन्द्व रहता है।
  • मनोविश्लेषक युंग के अनुसार, मनुष्य की स्मृतियाँ मानसिक कार्य को चेतन मन में एकत्र नहीं रख पातीं और वे अवचेतन मन में चली जाती हैं। इसी अवचेतन मन में दबी रहने वाली अनुभूतियाँ, स्मृतियाँ एवं विचार अहं को स्वीकार नहीं हो पाते परिणामस्वरूप भय, आशंका, मृत्यु जैसी स्थितियाँ पैदा हो जाती हैं। इससे मनुष्य का जीवन प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाता।

फ्रायड के मनोविश्लेषणवाद का मूल्यांकन

मूल्यांकन में किसी भी वस्तु, परिस्थिति, व्यक्ति अथवा सिद्धांत के गुण एवं दोष की समीक्षा की जाती है। फ्रायड के सिद्धांत में भी यह उपस्थित है।

फ्रायड के सिद्धांत में उपस्थित गुण

  • फ्रायड का सिद्धान्त विस्तृत एवं चुनौतीपूर्ण है। उन्होंने व्यापक ढंग से व्यक्तित्व का अध्ययन किया है। वह व्यक्तित्व के प्रत्येक पहलू को समझाने की कोशिश करते हैं।
  • फ्रायड ने व्यक्तित्व के विकास को बहुत ही सरलता से समझाने की कोशिश की है।

फ्रायड के सिद्धांत में उपस्थित दोष

  • फ्रायड ने लैंगिक ऊर्जा पर आवश्यकता से अधिक बल दिया है। फ्रायड के सिद्धांत की कड़ी आलोचना इस आधार पर की जाती है कि उन्होंने अपने पूरे सिद्धांत में लैंगिक ऊर्जा को ही आधारभूत इकाई माना है।
  • आलोचकों का मानना है कि फ्रायड ने अपने शोध कार्यों को सुव्यवस्थित एवं क्रमबद्ध ढंग से प्रस्तुत नहीं किया है, जो किसी भी सिद्धान्त की वैज्ञानिकता के लिए अति आवश्यक है।
  • फ्रायड का सिद्धान्त उनके व्यक्तिगत अनुभवों और उन मनोरोगियों के अनुभवों पर आधारित है, जो उनके यहां उपचार के लिए आते थे। आलोचकों का मानना था, इसे सामान्य व्यक्तियों पर लागू नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसकी नींव मनोरोगियों की अनुभूतियों पर टिकी है।
  • हिन्दी साहित्य में मनोवैज्ञानिक उपन्यासकारों ने अपने व्यक्ति चरित्रों का निर्माण इसी आलोक में किया है। अज्ञेय के उपन्यास 'शेखर एक जीवनी' का ख जैनेन्द्र के 'त्याग-पत्र' की मृणाल तथा 'सुनीता' की सुनीता एवं इलाचन्द्र जोशी के पात्र चन्द्रमोहन, नकुलेश, महीप आदि इन्हीं हीन ग्रंथियों से परिचालित है। 
  • वस्तुतः भीतरी विचार ही बाहरी दुनिया में प्रकट होते हैं। फ्रायडवादी मनोविज्ञान की स्वीकार करते हुए कुण्ठाओं, वासनाओं, गुह्य भावनाओं को काव्य में व्यक्त करना, वास्तविकता एवं यथार्थ के स्वीकृत आयामों को अस्वीकार करते हैं। 
  • मनोविश्लेषणवादी उपन्यासकार अपने पात्रों के अन्तर्मन में दबी हुई कुण्ठाओ हीनताओं को सामने लाकर व्यवहार का विश्लेषण करने की अद्भुत क्षमता रखते हैं।

 

हमें आशा है कि आप सभी UGC NET परीक्षा 2022 के लिए पेपर -2 हिंदी, 'मनोविश्लेषणवाद' से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु समझ गए होंगे। 

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