विश्व हिंदी सम्मेलन
- विश्व हिंदी सम्मेलन हिंदी भाषा का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन है, जिसमें विश्व भर से हिंदी विद्वान, साहित्यकार, पत्रकार तथा हिंदी प्रेमी एकत्र होते हैं।
- सन् 1973 में 'राष्ट्रभाषा प्रचार समिति' (वर्धा) की कार्यकारिणी ने 'विश्व हिंदी सम्मेलन' आयोजित करने का प्रस्ताव पारित किया। सन् 1975 ई. से इसका आयोजन आरंभ हुआ।
प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन से संबंधित महत्त्वपूर्ण बिंदु निम्नलिखित हैं:
- पहले विश्व हिंदी सम्मेलन का बोध वाक्य था- 'वसुधैव कुटुम्बकम्'।
- प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन में 30 देशों के कुल 122 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था।
इस सम्मेलन में पारित किये गए मंतव्य थे:
- संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में स्थान दिया जाए।
- वर्धा में विश्व हिंदी विद्यापीठ की स्थापना हो ।
- विश्व हिंदी सम्मेलनों को स्थायित्व प्रदान करने के लिये अत्यंत विचारपूर्वक एक योजना बनाई जाए।
- संयुक्त राष्ट्र संघ की छः आधिकारिक भाषाएँ हैं- अंग्रेज़ी, रूसी, चीनी (मंदारिन), फ्रेंच, स्पेनिश और अरबी।
- प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन के अध्यक्ष शिवसागर रामगुलाम (मॉरिशस) ने 'विश्व हिंदी सचिवालय' की स्थापना का प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
इससे संबद्ध अन्य तथ्य इस प्रकार हैं:
- 12 नवंबर, 2002 ई. को मॉरिशस की संसद ने एक अधिनियम पारित करके 'विश्व हिंदी सचिवालय' की स्थापना की।
- इस अधिनियम को कार्यरूप देने के लिये मॉरिशस और सरकार के मध्य एक समझौते पर 21 नवंबर, 2003 ई. हस्ताक्षर हुए।
- वर्तमान में भारत और मॉरिशस के कला एवं संस्कृति मंत्रालय तथ विदेश मंत्रालय के अधिकारी एवं विद्वान इसका संचालन करते हैं।
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हमें आशा है कि आप सभी UGC NET परीक्षा 2022 के लिए पेपर -2 हिंदी, 'विश्व हिंदी सम्मेलन' से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु समझ गए होंगे।
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