हम लेकर आये है राजस्थान GK के महत्वपूर्ण Topics, आप इसमें आज राजस्थान राजस्थान के प्रमुख किले पढेंगे। इसमें राजस्थान के प्रमुख किलों के बारे में सारी जानकारी दी जाएगी। राजस्थान के प्रमुख किले एक महत्वपूर्ण टॉपिक है जिसमें से हर प्रश्न पत्र में 2 से 3 प्रश्न पूछे जाते हैं । यह सीरीज हिंदी में प्रदान की जाएगी और आप हिंदी और इंग्लिश दोनों में PDF download कर सकेंगे। आप इसे पढ़े और comment में फीडबैक जरुर दें अच्छी लगे तोह Upvote जरुर दें।
राजस्थान के प्रमुख किले
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राजस्थान में दुर्ग स्थापत्य
कौटिल्य के अनुसार दुर्ग की श्रेणियाँ
- औदुक दुर्ग
- पर्वत दुर्ग
- धान्वन दुर्ग
- वन दुर्ग
शुक्र नीति के अनुसार राज्य के अंग
- राज्य को मानव शरीर का अंग मानते हुए शुक्र नीति के अनुसार दुर्ग को शरीर के प्रमुख अंग ‘हाथ’ की संज्ञा दी है।
शुक्र नीति के अनुसार दुर्ग के प्रकार :- 09
(1) एरण दुर्ग - वे दुर्ग, जिसके मार्ग में खाई, काँटो व पत्थरों से दुर्गम हों।
(2) औदुक दुर्ग - जल दुर्ग भी कहा जाता है। ऐसा दुर्ग जो विशाल जल राशि से घिरा हुआ हो।
(3) पारिख दुर्ग - वह दुर्ग, जिसके चारों तरफ बहुत बड़ी खाई हो।
(4) पारिध दुर्ग - बड़ी-बड़ी दीवारों का विशाल परकोटा हो।
(5) गिरि दुर्ग - किसी उच्च गिरि या पर्वत पर अवस्थित दुर्ग।
(6) धान्वन दुर्ग - मरुभूमि (मरुस्थल) में बना दुर्ग।
(7) वन दुर्ग - सघन बीहड़ वनों में निर्मित दुर्ग।
(8) सैन्य दुर्ग: चतुर सैनिक निवास करते हो।
(9) सहाय दुर्ग - आम व्यक्ति + सैनिक रहते है
राजस्थान के यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट:-
1. आमेर दुर्ग
2. गागरोण दुर्ग
3. कुम्भलगढ़ दुर्ग
4. जैसलमेर दुर्ग
5. रणथम्भौर दुर्ग
6. चित्तौड़गढ़ दुर्ग
जून, 2013 में हुई वर्ल्ड हेरिटेज कमेटी की बैठक में यूनेस्को साइट की सूची में शामिल किये गये।
- चित्तौड़गढ़
- निर्माण चित्रागंद मौर्य ने (कुमार प्रबंधन के अनुसार)
- जीर्णोद्धार- राणा कुंभा
- पठार- मेसा का पठार।
- उपनाम- राजस्थान का गौरव , दुर्गों का सिरमौर (“गढ़ तो चित्तौड़गढ़ बाकी सब गढ़ैया”) , मालवा का प्रवेश द्वार , दक्षिण राजपूताने का प्रवेश द्वार ,दक्षिणी सीमा का प्रहरी , त्रिकूट , खिजराबाद
विशेषता:-
- श्रेणी - धान्वन श्रेणी को छोड़कर सभी श्रेणियों
- राजस्थान का दूसरा प्राचीनतम दुर्ग
- राजस्थान का सबसे बड़ा दुर्ग
- राजस्थान का सबसे बड़ा आवासीय दुर्ग
- भारत का एकमात्र दुर्ग जिसमें कृषि की जाती है
- इसकी आकृति व्हेल मछली जैसी है
- राजस्थान में सर्वाधिक साके चित्तौड़ दुर्ग में हुए 3 साके
- चित्तौड़गढ़ दुर्ग के साके –
- प्रथम साका - 1303 ई. अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के कारण
- शासक / केसरिया - राणा रतनसिंह , गोरा , बादल
- जौहर – पद्मनी , सोलह सौ रानियों सहित , सबसे बड़ा जोहर
- द्वितीय साका - 1534 ई. बाहदुरशाह के आक्रमण के कारण
- केसरिया - रावत बाघ सिंह (चित्तौड़गढ़ दुर्ग के मुख्य प्रवेश द्वारा पर बाघसिंह का स्मारक स्थित है)
- जौहर - कर्मावती
- तृतीय साका – 1568 अकबर के आक्रमण के कारण
- केसरिया - : जयमल राठौड़ , फत्ता सिसोदिया
- जौहर – फूलकँवर
- अन्तिम प्रवेश द्वारा रामपोल पर फतेहसिंह सिसोदिया का स्मारक स्थित है
दुर्ग के प्रमुख मंदिर –
तुलजा भवानी मंदिर –
- निर्माण - बनवीर द्वारा
- बनवीर की कुलदेवी
- मराठा शिवाजी की आराध्य देवी
श्रृंगार - चंवरी
- निर्माण - 'वेल्लका' ने
- सोल्वे तीर्थ कर शांतिनाथ को समर्पित
- इसी स्थान पर कुंभा की पुत्री रमाबाई (वागीश्वरी) का विवाह मंडप बनाया गया
सात-बीस देवरी मंदिर - जैन मंदिर
- यह जैन मंदिर 27 जैन मंदिरों द्वारा निर्मित है
मोकल / त्रिभुवन नारायण मंदिर / समद्विश्वर मंदिर
- त्रिभुवन नारायण का मंदिर विष्णु को समर्पित है
- निर्माता भोज परमार
- आधुनिक निर्माता महाराणा मोकल
कुम्भश्याम मंदिर –
- निर्माण कुंभा
मीरा मंदिर - राणा सांगा ने
- इस मंदिर में मीराबाई पूजा करती थी
- मंदिर के सामने मीराकुरु रेदास जी की छतरी है
कालीका माता मंदिर / सूर्य मंदिर –
- प्राचीनतम सूर्य मंदिर था
- जिसको मान मौर्य ने द्वारा बनाया गया
अन्नपूर्णा माता
- बिरवडी माता सिसोदिया वंश की कुलदेवी
- निर्माण हमीर
दुर्ग के प्रमुख महल -
- गोरा-बादल महल
- पद्मनी महल
- झाला महल
- सपूत महल
- पुरोहितों की हवेली
- कुंभा महल / नौलखा महल
- फतेह महल ( चित्तौड़ का संग्रहालय)
- भामाशाह की हवेली
- रतन सिंह का महल
- राव रणमल की हवेली
प्रमुख जलाशय –
- सूर्यमुख कुण्ड
- घासुण्डी बावड़ी
दरवाजे –
- इस दुर्ग में 7 दरवाजे हैं
- पांडन पोल
- भैरो पोल
- हनुमान पोल
- गणेश पोल
- जाडोल पोल
- लक्ष्मण पोल
- राम पोल
विजय-स्तम्भ -
- निर्माण -कुम्भा (मालवा विजय के उपलक्ष में 1438-49 ई.) में ।
- वास्तुकार - जैता, नाथा, पोमा, पूंजा
- ऊँचाई - 122 फीट
- सिढ़ियाँ - 154
- माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान पुलिस व वन विभाग का प्रतीक चिह्न
- भगवान विष्णु को समर्पित
- कुल 9 मंजिला भवन
- राजस्थान का प्रथम स्मारक जिस पर 15 अगस्त, 1849 को 1 रु. का डाक टिकट जारी।
- कुम्भलगढ़ दुर्ग
- उपनाम: मेवाड़-मारवाड़ सीमा का प्रहरी , मेवाड़ राजाओं की संकटकालीन राजधानी ,मेवाड़ की तीसरी आँख – कटारगढ़ ।
- निर्माता: महाराणा कुम्भा।
- निमाण: 1458 इ. मे महाराणा कम्भा ने अपनी पत्नी कमुभलदेवी की स्मृति में बनवाया।
- शिल्पी: मण्डन।
विशषेताऐ-
- किले के चारौ तरफ की दीवार की कुल लम्र्बाई 36 किलौमीटर है।
- कुम्भलगढ़ दुर्ग को कर्नल जेम्स टॉड ने एस्ट्रॉकन कहा है।
- किले मे कुम्भा का निवास स्थान कटारगढ़ है।
- उदयसिहं ने इस किले मे झालिया का मालिया बनवाया।
- अबुल फजल ने कटारगढ़ दुर्ग के बारे में कहा ‘‘यह दर्गु इतनी बुलन्दी पर स्थित है कि इसे दखेने पर सिर की पगड़ी नीचे गिर जाये।’’
- महाराणा प्रताप का जन्म इसी दुर्ग में हुआ।
- उदयसिंह का राज्याभिषेक इसी दुर्ग में हुआ।
- श्रेणी - गिरी दुर्ग (जरगा पहाड़ी पर), पारिध दुर्ग
- प्रवेश द्वार - ओरठ पोल
प्रमुख इमारते -
- बादल महल - राजस्थान का सबसे बड़ा महल
- झाली रानी का मालिया
- कटारगढ़
मंदिर
- कुम्भ स्वामी मंदिर - राणा कुम्भा
- नीलकंठ महादेव मंदिर - टॉड ने यूनानी मंदिर कहा
- रणथम्भौर दुर्ग
- वर्तमान में - सवाई माधोपुर है ।
- रणथम्भौर का शाब्दिक अर्थ “रण की घाट” है।
- चौहान शासकों द्वारा निर्मित ।
- आकृति - अंडाकार ।
- गिरिवन दुर्गा की विशेषता
- उपनाम - चित्तौड़गढ़ का छोटा भाई , दुर्गधिराज
- अबुल फजल ने कहा “ बाकी सब किलें नंगे हैं पर रणथंबोर दुर्ग बख्तरबंद है “
- हमीर के समय जलालुद्दीन खिलजी ने यहां पर आक्रमण किया तथा विफल रहा इस पर उसने कहा कि “ मैं ऐसे 10 दुर्गों को मुसलमान के बाल के बराबर नहीं समझता”
- प्रवेश द्वार - नौलखा दरवाजा
- 1301 ईस्वी में अलाउद्दीन ने रणथम्भौर किले पर आक्रमण किया उस समय रणथम्भौर का पहला साका हुआ यह हमीर के नेतृत्व में हुआ इसे राजस्थान के इतिहास का प्रथम साका भी कहा जाता है ।
- इस किले में जोगी महल , सुपारी महल , रणतभंवर गणेश जी का मंदिर पदम तालाब ,जोरा भोरा महल ,पीर सदरूद्दीन, - शाकम्भरी माता का मंदिर की दरगाह स्थित है
- राज्य का एकमात्र ऐसा दुर्ग, जिसमें मंदिर, मस्जिद वगिरजाघर तीनों हैं।
- अकबर कालीन टकसाल भी यहीं स्थित है
- गागरोन दुर्ग –
- वर्तमान में - झालावाड़
- निर्माण – बीजलदेव परमार
- निर्माण डोड़ परमार शासकों ने करवाया
- श्रेणी – जल दुर्ग
- प्राचीन नाम – गगरितपुर
- अन्य नाम डोडगढ़ , धूलरगढ़ , एक मात्र जलदुर्ग , जालिम कोट
- नदियों का संगम पर - आहू व कालीसिंध
- बिना नीव वाला दुर्ग
- इस दुर्ग मे तिहरा परकोटा है
- पृथ्वीराज राठौड़ को अकबर ने जागीरी के स्वरूप दिया तथा यहां पर उन्होंने वैली किशन रुक्मणी री की रचना की
- यहां पर दो साका हुए
1423 प्रथम साका
- शासक- अचलदास खींची
- आक्रमणकारी - होशंगशाह गुजरात
द्वितीय साका 1444
- शासक - पाल्हण सिंह
- आक्रमणकारी- महमूद खिलजी मालवा (नाम परिवर्तित करके मुस्तफाबाद कर दिया)
- मधुसुदन मंदिर, – बुलंद दरवाजा– औंरगजेब , दीवान-ए-खास, दीवान-ए-आम, जनाना महल, अचलदास के महल ,जौहर कुंड , मीठे शाह की दरगाह , अंधेरी बावड़ी इत्यादि दर्शनीय स्थल है।
- गागरोन दुर्ग संत पीपा की जन्मस्थली मानी जाती है
- सोनारगढ़ दुर्ग –
- वर्तमान में - जैसलमेर
- पहाड़ी - त्रिकुट पहाड़ी
- निर्माण पूर्ण - शाहवाहिन II (1164)
- प्रवेश द्वार - अक्षय पोल
- श्रेणी - गिरी, एरण
- आकर - त्रिभुजाकार
- निर्माण राव जैसल द्वारा प्रारंभ किया गया तथा पूर्ण शाहवाहिन ॥ द्वारा किया गया
- अन्य नाम – सोनारगढ़, स्वर्णगिरी ,कमरकोट,गौहरागढ़ ,गलियों का दुर्ग ,रेगिस्तान का गुलाब और पश्चिम सीमा का प्रहरी
विशेषता
- चुने व सीमेंट का प्रयोग नहीं हुआ
- दुर्ग पीले पत्थरों से निर्मित है।
- 99 बुर्ज ( सर्वाधिक बुर्जा वाला किला
- देखने पर अंगड़ाई लेते हुए शेर के समान तथा जहाज के लंगर खोले हुए के समान
- 2009 में 5 रु. का डाक टिकट जारी
- सत्यजीत रे ने सोनार किला फिल्म निर्माण किया
- चारों ओर परकोटा घागरा नुमा अतः इसे कमर कोर्ट भी कहा जाता है
- दूसरा सबसे बड़ा लिविंग फोर्ट
- दुर्ग के भीतर 'जिन भद्र सुरी' भूमिगत संग्रहालय है। जिस पर ताड़ पत्रों (ताम्र पत्रों) पर चित्रित ग्रन्थों का संग्रहरण किया गया है।
- जैसलमेर केअड़ाई 2 अर्द्ध साका :-
- प्रथम साका - (1312) -
- स्थानीय शासक - मूलराज
- आक्रमणकारी - अलाउद्दीन खिलजी
- दूसरा साका - (1370-71)
- स्थानीय शासक - दूदा
- आक्रमणकारी - फिरोजशाह तुगलक
- अर्द्ध साका - (1550)
- स्थानीय शासक - लूणकर्ण
- आक्रमणकारी - कंधार अमीर अली
- आमेर का दुर्ग –
- जयपुर में स्थित है
- निर्माण - कोकिल देव (1207 ई.)
- दुर्ग का आधुनिक निर्माता - मान सिंह प्रथम
- श्रेणी - गिरी दुर्ग - कालीखोह पहाड़ी पर
- उपनाम - अम्बेवती दुर्ग , आम्रपाली दुर्ग , गोकलगढ़ , मोमीनाबाद (बहादुरशाह ने)
- आकार- महलनुमा
- राजस्थान का एकमात्र दुर्ग, जिसमें मीणा बाजार स्थित है।
- प्रवेश द्वार - गणेश पोल व हाथी पोल
(गणेशपोल को फर्ग्युसन ने विश्व का सबसे सुन्दर दरवाजा बताया है)
दुर्ग के प्रमुख महल –
- दीवान-ए-खास
- दीवान-ए-आम
- सुहाग मंदिर – (यह रानियों के हास परिहास का स्थान है )
- सुख मंदिर – (एक जैसे 12 कमरे जो मिर्जा राजा जयसिंह ने बनवाए थे )
- दौलत आरामबाग
- मावठा जलाशय
- केसर क्यारी बगीचा
- केसर-क्यारी
- कदमी महल–
- निर्माण - राजदेव ने करवाया
- आधुनिक निर्माता - मान सिंह प्रथम (आमेर राजाओं का राज्यभिषेक स्थल )
- प्रमुख मंदिर :-
- शिला देवी का मंदिर
- कच्छवाहा राजवंश की आराध्य देवी
- निर्माण- मान सिंह प्रथम ने करवाया।
- मूर्ति - मान सिंह प्रथम द्वारा पूर्वी बंगाल के राजा केदार को पराजित कर लाया।
- जगत शिरोमणी मंदिर
- निर्माण - मान सिंह प्रथम की पत्नी कनकावती द्वारा।
- मूर्ति - चित्तौड़गढ़ के मीरा - मंदिर से लाई गई।
- प्रमुख जलाशय -
- मावठा जलाशय
2. हाथी- जलाशय - भटनेर दुर्ग
- निर्माण - भूपत भाटी - तीसरी शताब्दी में
- श्रेणी - धान्वन
- वास्तुकार - कैकेया
- प्रवेश द्वार - गोरखपोल
- उपनाम - उत्तरी सीमा का प्रहरी, भाटियों की मरोड़
- भटनेर दुर्ग में स्थित इमारतें -
- गुरु गोरखनाथ जी मंदिर
- हनुमान जी का मंदिर
- दिल्ली - मुल्तान मार्ग पर स्थित दुर्ग
- घग्धर / सरस्वती नदी के तट पर स्थित
- राज्य का सबसे प्राचीन दुर्ग
- मिट्टी से निर्मित दुर्ग
- पहला विदेशी आक्रमण - 1001 ई. मोहम्मद गजनवी
- अन्तिम विदेशी आक्रमण - 1570/97 - अकबर
- अनूपगढ़ - श्रीगंगानगर में - अनूप सिंह द्वारा निर्मित
- राज्य का एकमात्र दुर्ग जहाँ पर तैमूर लंग के आक्रमण केसमय मुस्लिम महिलाओं ने जौहर किया।
- इस जौहर के समय स्थानीय शासक - मूलचन्द
- जौहर का प्रमाण - तैमुर लंग की आत्मकथा 'तुजुक-ए-तैमूरी' में
- ग्यासुद्दीन तुगलक के भाई शेरखाँ की कब्र इसी दुर्ग मेंस्थित है।
- 1805 ई. में बीकानेर शासक सूरतसिंह ने मंगलवार केदिन जापाता खाँ भट्टी को जीतकर 'हनुमानगढ़' रखा। भटनेर दुर्ग को 'हाकरा दुर्ग' भी कहा जाता है।
- मेहरानगढ़ दुर्ग
- निर्माता :-राव जोधा 1459 ई. में
- नींव :- करणी माता (रिद्धि बाई) द्वारा
- आकृति :-मयूर के समान
- चिड़ियाटूंक पहाड़ी पर ( गिरि दुर्ग)
- अन्य नाम :-म्यूरध्वज, गढ़चिन्तामणि
- इस दुर्ग की नींव में राजिया (राजाराम) मेघवाल को जीवित चुना गया।
- 1805 ईस्वी में महाराजा मानसिंह द्वारा मान प्रकाश पुस्तकालय स्थापित किया गया 1974 में इसे संग्रहालय की मान्यता दी दी गई
- मेहरानगढ़ दुर्ग के दौलत खाने के आंगन में महाराजा बख्त सिंह द्वारा बनवाई गई संगमरमर की श्रृंगार चौकी है
- इस दुर्ग में जसवंत थड़ा है जिसे राजस्थान का ताजमहल भी कहा जाता है इसका निर्माण सरदार सिंह ने अपने पिता जसवंत सिंह द्वितीय की याद में करवाया
- मंदिर –
- चामुण्डा माता का मंदिर -
- निर्माण - राव जोधा ने करवाया।
- चामुण्डा माता राठौड़ों की आराध्य देवी है।
- नागणेची माता का मंदिर -
- जोधपुर राठौड़ों की कुल देवी
- निर्माण - जोधा द्वारा
- महल :-
- यहां पर भूरे खां की मजार तथा शेरशाह सूरी की मजार स्थित है
- इस दुर्ग के संग्रहालय में अकबर की तलवार रखी गई है
- रूड्यार्ड कलिंग / किपलिंग - परियों तथा फरिश्तों द्वारा निर्मित
- जैकलीन कैनेडी - दुनिया का 8 वाँ अजूबा
- बिल गेट्स - जोधपुर - नीला शहर
- टोड ने कहा इस दुर्ग से पूरे राज्य में नजर रखी जा सकती है
- महल
- फूल महल - सोने का कार्य किया गया बख्त सिंह द्वारा
- चौखा महल
- श्रृंगार चौकी (राठौड़ों के राजाओं का राजतिलक)
- अभय महल
- बीचल महल
- मोती महल (तख्त सिंह ने सोने का काम करवाया)
दुर्ग में तोपें
- किलकिला तोप :-राजा अजीत सिंह द्वारा अहमदाबाद से लाया ।
- शम्भुबाण तोप :-राजा अभय सिंह ने सर बुलन्दखाँ से छीनी।
- गजनी खाँ तोप :- राजा गजसिंह ने जालौर विजय पर हासिल की
- जूनागढ़ (बीकानेर)
- निर्माण- राव बिका शिल्पी नोपाजी
- पुनर्निर्माण रायसिंह शिल्पी क्रमचंद्र
- आकृति - चतुष्कोणीय
- श्रेणी – धान्वन
- प्रवेश द्वारा - कर्णपोल, सुरजपोल
- उपनाम - जूनागढ़ , बीकानेर की टेकड़ी , बीकाजी की टेकड़ी , राती घाटी का किला , जमीन का जेवर
- गज मंदिर - रतन सिंह द्वारा निर्मित
- 33 करोड़ देवी-देवताओं का मन्दिर जिसका निर्माण अनुप सिंह ने करवाया
- छत्रर महल (रासलीला का दृश्य हेतु प्रसिद्ध)
- बादल महल (राजस्थान में सोने की कलाकृति हेतु प्रसिद्ध)
- फूल महल (कांच का कार्य हेतु प्रसिद्ध)
- अनूप महल (स्वर्ण चित्रकारी हेतु प्रसिद्ध) बीकानेर राजाओं का राजतिलक वर्तमान में प्रशासनिक संग्रहालय
- कर्ण महल -सार्वजनिक दर्शक हॉल अनूप सिंह द्वारा निर्मित
- गंगा महल - गंगा सिंह द्वारा निर्मित प्रथम विश्व युद्ध के विमानों का एक मुख्यालय
- यहां शेर पर सवार गणेश मंदिर
- 37 बुर्ज
- सर्वप्रथम इसमें लिफ्ट लगाई गई
- रामेश्वर राम सर तालाब घंटाघर सूरसागर झील जिसका जीर्णोद्धार वसुंधरा राजे ने करवाया
- जुनागढ़ दुर्ग के मुख्य प्रवेश द्वार पर जयमल व फत्ता की गजारूढ़ मूर्तियाँ लगी हुई है।
- यहाँ राव बीका के चाँदी के पलंग व सिंहासन हैं।
- तारागढ़ (अजमेर)
- निर्माण- अजयराज
- पहाड़ी – बीठली
- उपनाम - राजस्थान का हृदय , अरावली का अरमान , राजपूताना की कुंजी , राजस्थान का जिब्राल्टर - विश्व हेबर , गढ़ बीठली दुर्ग
- इस दुर्ग का जीर्णोद्धार पृथ्वीराज सिसोदिया ने करवाकर इसका नाम अपनी पत्नी तारा बाई के नाम पर तारागढ़ किया।
- राज्य का एकमात्र दुर्ग जहाँ घोड़े की मजार स्थित है ।
- राज्य का प्रथम तरणताल स्थित
- मिरान साहब की दरगाह स्थित
- रूठी रानी का महल
- दुर्ग में स्थित रंगमहल का निर्माण छत्रशाल ने करवाया।
- अकबर का किला
- निर्माण – अकबर
- निर्माण 1570 अकबर द्वारा
- श्रेणी – धान्वन व सैन्य दुर्ग (समतल भूमि पर होने के कारण)
- राजस्थान का एकमात्र दुर्ग जो मुस्लिम फारसी शैली से निर्मित है
- अकबर के अजमेर में स्थाई निवास के रूप में हेतु बनाया गया
- इस दुर्ग से पहले बादशाही भवन का निर्माण किया गया
- यह दुर्ग ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के प्रति श्रद्धा को व्यक्त करने के लिए बनाया गया
- इसकी आकृति चतुर्थकोणीय है
- मुख्य दरवाजा - जहाँगीर पोली
- नींव – दादू दयाल द्वारा
- उपनाम – अकबर का दौलतखाना , अकबर का शास्त्रागार , मैंगनीज दुर्ग , अजमेर का किला
- हल्दीघाटी युद्ध की योजना स्थली
- दुर्ग का जीर्णोद्वार – लॉर्ड कर्जन ने
- 1907 में राजपूताना – संग्रहालय की स्थापना, जिसके प्रथम अध्यक्ष – डॉ. गौरी शंकर, हीरानंद उपाध्याय
- सिवाना का किला-बाड़मेर
- निर्माण – वीरनारायण पवार द्वारा निर्मित
- पहाड़ी हल्देश्वर की पहाड़ी पर स्थित
- मारवाड़ के शासकों की संकटकालीन राजधानी
- वीर दुर्गादास की शरण स्थली
- इसे जालौर दुर्ग की कुंजी कहा जाता है।
- कुमट गढ़ दुर्ग - इस दुर्ग के आसपास कुमट कि अधिक प्रधानता है
- अलाउद्दीन खिलजी ने इस दुर्ग का नाम खैराबाद कर दिया
- मथुरादास माथुर और जय नारायण व्यास को इस दुर्ग में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान बंदी बनाकर रखा गया
- इसे कुम्बाना दुर्ग भी कहते हैं।
- यहाँ मामदेव कुण्ड स्थित है।
- मारवाड़ राजाओं की शरण-स्थली कहा जाता है।
- मारवाड़ राजाओं की संकटकालीन राजधानी
- सिवाना दुर्ग में दो साके हुए
- प्रथम साका - 1308 ई. अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के समय हुआ।
- शासक वीर सातल देव
- द्वितीय साका - 1587 आक्रमणकारी मोटा राजा उदयसिंह
- शासक राव कल्लाजी
- जालोर दुर्ग
- जालौर में यह गिरी दुर्ग है
- स्वर्ण गिरी कच काचल पहाड़ी पर स्थित
- यह दुर्ग लूनी नदी के किनारे है
- निर्माण - धारा वर्ष ने बसाया H. ओझा के अनुसार , नागभट्ट 1st ने बनवाया डॉ. दशरथ शर्मा के अनुसार
- अलाउद्दीन खिलजी ने इस दुर्ग का नामकरण जलालाबाद
- उपनाम - सोनगढ़, सुवर्णगिरी
- मुख्य प्रवेश द्वारा - सिरपोल, सूरजपोल
- नटनी की छतरी बनी है।
प्रमुख महल :-
- मानसिंह का महल
- रानी महल (दो मंजिला)
- नाथावत महल
मंदिर :- अवसुधन मंदिर, जोगमाया माता का मंदिर, आसापुरा माता मंदिर, बीरमदेव चौकी स्थित है।
- अलाउद्दीन खिलजी ने इस दुर्ग में फिरोजा मस्जिद का निर्माण करवाया।
- 1311 ई. में अलाउद्दीन खिलजी ने जालोर दुर्ग पर आक्रमण किया।
- जालोर दुर्ग के साके (1311 ई.) में
- केसरिया का नेतृत्व कान्हड़देव ने
- जौहर का नेतृत्व जैतल देवी ने किया।
- जालौर दुर्ग को सिवाना दुर्ग की कुंजी कहा जाता है।
- टॉडगढ़ दुर्ग
- प्राचीन नाम – बोरसवाड़ा
- अंग्रेजों द्वारा निर्मित
- कर्नल जेम्स टॉड द्वारा
- भैंसरोड़गढ़ दुर्ग
- स्थान : चित्तौड़गढ़
- चंबल और बामी नदी के किनारे
- निर्माण :-भैंसाशाह व रोड़ाशाह
- निर्माण व्यापारियों द्वारा राजस्थान का एकमात्र दुर्ग जिससे व्यापारियों ने बनाया
- राजस्थान का वेल्लोर
- अचलगढ़ दुर्ग
- स्थान – सिरोही
- निर्माण परमारो द्वारा या महाराणा कुंभा द्वारा
- मंदाकिनी झील के किनारे
- मंदिर - अखिलेश्वर महादेव का मंदिर , गोमुख मंदिर
- सावन भादो झील
- माण्डलगढ़ दुर्ग
- स्थान - भीलवाड़ा
- कटोरे नुमा आकृति
- बनास बेड़च मेनाल नदी के संगम के किनारे पर
- निर्माण मांडिया भील
- श्यामल दास वे हीरानंद औझा के अनुसार इसका निर्माण चौहानों ने करवाया
- हल्दीघाटी की अंतिम योजना इसी दुर्ग में बनाई गई 21 दिन का सैन्य प्रशिक्षण दिया गया
- बिजासन की पहाड़ी पर स्थित
- महाराणा प्रताप आजीवन चित्तौड़गढ़ व माण्डलगढ़ पर अधिकार नहीं कर पाए।
- नागौर का किला
- उपनाम - नाग दुर्ग , नगाणा दुर्ग , अहिछात्रपुर दुर्ग
- निर्माण – कदम्बवास / केमास सोमेश्वर के सामंत
- सर्वाधिक निर्माण बख्त सिंह
- प्रवेश द्वार सिरोज पोल
- वास्तविक बादल महल स्थित है, जिसका निर्माण बख्तसिंह ने करवाया था।
- जल-प्रबंध हेतु विश्व विख्यात दुर्ग।
- अमरसिंह राठौड़ की कर्मस्थली
- अमरसिंह राठौड़ की 16 खंभो की छतरी स्थित है।
- शाहजहां ने यह दुर्ग अमर सिंह को दे दिया
- सोजत दुर्ग -पाली
- सुकड़ी नदी के किनारे
- निर्माण - 1460 में निंबा द्वारा (जोधा का पुत्र)
- पहाड़ी - शिरडी पहाड़ी
- आधुनिक निर्माता - मालदेव
- 1515 में रामगंगा ने वीरमदेव को दे दिया
- अकबर ने चंद्रसेन से छीना
- 1607 में जहांगीर ने इसे क्रमसेन को दे दिया
- अउवा पाली
- निर्माण - चंपावतो ने
- प्रसिद्ध 1857 कुशाल सिंह
- 1858 में होम्स ओर डीसा ने अधिकार कर लिया
- 1868 में वापस चंपावत ओं के अधिकार में
- बाली दुर्ग
- स्थान– पाली
- निर्माण – 1240 बीरमदेव (जालोर)
- आधुनिक निर्माता – चेनसिंह
- पांडवों के गुली डंडे रखे है।
- वर्तमान में इस दुर्ग में जेल संचालित है।
- चूरू का किला
- निर्माण - ठाकुर कुशाल
- ठाकुरों ने अपनी रक्षा हेतु पर चांदी के गोले दागे
- उपनाम- धोलकोट
- लोहागढ़ दुर्ग (भरतपुर)
- निर्माण: – रुस्तम जाट
- वास्तविक/आधुनिक निर्माता– सूरजमल जाट
- श्रेणी– पारिख दुर्ग
- प्रवेश द्वारा– लोरियापोल
- उपनाम– राजस्थान का अजयदुर्ग, पूर्वी सीमा का प्रहरी।
- दुर्ग के प्रमुख महल– दादी माँ का महल, किशोरी माँ का
- महल व वजीर कोठी।
- जवाहर बुर्ज का निर्माण जवाहर सिंह ने दिल्ली विजय के उपलक्ष में करवाया था, जिसमें भरतपुर शासकों का राजतिलक होता है।
- बयाना दुर्ग
- निर्माण - विजयपाल
- पहाड़ी - दमदमा/मानी पहाड़ी पर ।
- उपनाम- रोहितपुर, बाणासुर, विजयमंदिरगढ़, बादशाह दुर्ग
- भीमलाट का स्तंभ निर्माण- विष्णुवर्धन ने करवाया।
- उषा मंदिर का निर्माण रानी चित्रलेखा ने ।
- उषा मंदिर की जगह मुबारक खिलजी ने उषा मस्जिद का निर्माण करवाया।
- डीग का किला :- भरतपुर
- निर्माण- बदनसिंह
- सूरजमल महल स्थित
- इस दुर्ग के किनारे जल महल स्थित है।
- बालाकिला- अलवर
अलवर का किला
- निर्माण- उलगुराम कोकिलदेव
- 52 दुर्गो का लाडला।
- भानगढ़ किला- अलवर
- निर्माण- भगवंतदास
- भूतिया किला
- इस दुर्ग में मेहंदी महल व घास कुण्ड स्थित है।
- जयगढ़ दुर्ग
- निर्माण - कोकिल देव , मानसिंह प्रथम , मिर्जा राजा जयसिंह , सवाई जयसिंह
- पहाड़ी इंगल पहाड़ी
- आमेर की ओर झाकता हुआ दिखाई देता है
- दुर्ग का उपयोग आमेर के राजाओं का खजाना रखने में किया जाता था
- यहां एशिया की सबसे बड़ी जयबाण तोप रखी गई है तोप का वजन 50 टन तथा लंबाई 20 फीट इसके अंदर गोले का 50 किलोग्राम वजन तथा इसकी मारक क्षमता 35 किलोमीटर है
- इस तोप को इतिहास में केवल एक ही बार चलाया गया, जिससे गोलेलाव (चाकसु) तालाब का निर्माण हुआ।
- प्रवेश द्वार - डुँगर पोल, जय पोल
- इस दुर्ग में राजस्थान का सबसे बड़ा टांका स्थित है।
- का तोप बनाने का पहला कारखाना इसी दुर्ग में स्थापित किया गया।
- नाहरगढ़ दुर्ग (जयपुर)
- निर्माण 1734 में सवाई जयसिंह द्वारा ( मराठों से जयपुर की रक्षा हेतु )
- पहाड़ी- मीठड़ी पहाड़ी पर (यह एक गिरी दुर्ग है)
- माधोसिंह प्रथम ने दुर्ग में अपनी पासवान रानियों के लिए विक्टोरिया शैली में एक जैसे नौ महल ओं का निर्माण करवाया
- इस दुर्ग को जयपुर का मुकुट वह जयपुर की ओर झांकता दुर्ग कहते हैं
- इस दुर्ग में सिलेखाना , हवा मंदिर, माधव सिंह का अतिथि ग्रह स्थित है
- उपनाम - सुलक्षण दुर्ग , सुदर्शन गढ़, टाइगर किला, जयपुर ध्वज गढ़ , महलों का दुर्ग , मीठड़ी का किला
- राजस्थान का प्रथम जैविक उद्यान यहीं पर स्थित है
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